भूमि न मिलने से अटकी खटीमा-सितारगंज-किच्छा रेल परियोजना

टनकपुर-बागेश्वर का फाइनल सर्वे जनवरी 23 तक
सूचना अधिकार के तहत मिली सूचना से खुलासा
देहरादून। खटीमा से सितारगंज होते हुये किच्छा तक नई रेल लाइन परियोजना केंद्र व राज्य सरकार की रस्सा कशी में अटकी पड़ी है। साथ ही टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन के फाइनल लोकेशन सर्वे की रिपोर्ट जनवरी 2023 में प्र्रस्तुत किया जाना प्रस्तावित है। यह खुलासा रेलवे बोर्ड द्वारा सूचना अधिकार के तहत नदीम उद्दीन को उपलब्ध कराई सूचना से हुआ है।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने रेल मंत्रालय से उत्तराखंड की नई रेल लाइनों के विकास के बारे में सूचनायें मांगी थी। रेल मंत्रालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा खटीमा-सितारगंज-किच्छा तथा टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन की सूचनायें उपलब्ध कराने के लिये इसे रेलवे बोर्ड को हस्तांतरित कर दिया। इसके उत्तर में रेलवे बोर्ड ने नदीम को सूचना दी है। इसके अनुसार खटीमा से सितारगंज होते हुये किच्छा तक प्र्रस्तावित रेल लाइन का सर्वे किया जा चुका है। 53.60 किमी. की लम्बाई वाले इस रेलपथ की लगभग 9 किमी लम्बाई रिजर्व जंगल से गुजर रही है। सर्वे रिर्पोर्ट के अनुसार इस परियोजना की लागत 1546 करोड़ रूपये है जिसमें 528.69 करोड़ रूपये मात्र भूमि की लागत है। बोर्ड ने राज्य सरकार से अनुरोध किया गया है कि परियोजना हेतु लागत रहित भूमि रेलवे को प्रदान की जाए। राज्य सरकार द्वारा इस विषय में असमर्थता जताई गयी है। जिस कारणवश परियोजना में प्रगति रूकी हुई है।
नदीम ने टनकपुर से बागेश्वर रेल लाइन का विवरण, उसके सर्वेक्षण और अन्य प्रगति विवरण की मांगी गयी सूचना के उत्तर में लिखित रूप से सूचित किया गया है कि टनकपुर-बागेश्वर (155 किमी.) नई रेल लाइन के निर्माण के लिये एफ.एल.एस (फाइनल लोकेशन सर्वे) 11 अक्टूबर 2021 को स्वीकृत किया गया है जिसकी रिपोेर्ट जनवरी 2023 में प्रस्तुत किया जाना प्रस्तावित है। रिपोर्ट प्रस्तुत होने के उपरान्त ही कोई निर्णय लिया जा सकेगा। नदीम ने बताया कि यह रेल लाइनें नेपाल, चीन की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा को जोड़ने और पहाड़ के विकास तथा सितारगंज औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिये भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसलिये इनका शीघ्र निर्माण आवश्यक है। उत्तराखंड व केन्द्र में एक ही दल की सरकार के होने के बाद भी महज जमीन की वजह से इस पर काम शुरू नहीं हो पा रहा है।