भूमि संबंधी नियमों में अवैज्ञानिक सोच से शंका में उद्यमी
गलबलिया इस्पात के योगेश जिंदल ने सीएम को लिखी पाती
देहरादून। धामी सरकार सूबे में उद्योगों को बढ़ावा देने की बात कर रही है। लेकिन अफसरशाही के तमाम फैसलों से उद्योगपति परेशान हैं। उन्हें लग रहा है कि नियमों में अवैज्ञानिक सोच से राज्य में उद्योग स्थापना में तमाम शंकाएं पैदा हो रही हैं।
काशीपुर स्थित गसबलिया इस्पात के प्रबंध निदेशक योगेश जिंदल ने इस बारे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेजे एक खत में तमाम समस्याओं का खुलासा किया है। खत में जिंदल ने लिखा है कि प्रदेश के विकास में समय-समय पर कुछ इस तरह के परिवर्तन हो रहे है जिनसे औद्योगिक विकास में संलग्न, प्रदेश के व बाहर से आने वालेनिवेशक बार-बार शशंकित हो रहे हैं।
पत्र में कहा गया है कि औद्योगिक आस्थानो में स्थापित उद्योगों पर नगर निकायों द्वारा अथवा नगर पंचायतों द्वारा अनावश्यक रूप से अवैज्ञानिक रूप से कर आरोपित किया जा रहा है। पूर्व में जिला पंचायत द्वारा कर आरोपित किया गया था परन्तु माननीय उच्च न्यायलय ने इस गलत ठहराया था। वर्तमान में उन्ही क्षेत्रों को नगर निगम सीमा में लेने के पश्चात नगर निगम द्वारा उद्योग कर दर समान्य दर से दो गुना से पांच गुना रखी गयी हैं जोकि कदापि न्यायसंगत नहीं है। औद्योगिक विनिमय क्षेत्र घोषित करते समय यह प्रावधान किया गया था कि औद्योगिक आस्थान के रख रखाव, अवस्थापना सुविधाओं के विकास का कार्य आस्थान के प्रमोटरो द्वारा स्वयं किया जायेगा। अतः उक्त क्षेत्रों का रख रखाव औद्योगिक आस्थान स्वतः ही करते आ रहे है और इसमें नगर निगम का काई भी सहयोग कभी भी प्राप्त नही हुआ है।
काशीपुर महायोजना 2041 के अंतगत पिछले 15 वर्षो से स्थापित Jeitoit ast oft Deviated Industry a रखकर अनावश्यक रूप से हतोत्साहित किया जा रहा है। नारायण नगर इण्डस्ट्रियल स्टेट की घोषणा उत्तराखण्ड शासन औद्योगिक विकास विभाग ने 2005 में की थी इसका विस्तार 2016 में किया गया था। उक्त आस्थान में लगी हुयी इकाईयों के नक्शे राज्य औद्योगिक विकास अधिकरण के द्वारा अनुमोदित किये जाते हैं। इस सब के बाद भी Deviated Industry में अंकित करना विचारणीय है।
पत्र में कहा गया है कि Circle Rate इस सीमा तक बढ़ा दिये गये है कि कोई उद्योग अपने उद्योगको अन्य उद्यमी को हस्तांतरित करने की संभावनायें समाप्त हो गयी है। इससे औद्योगीकरण के लिए खरीदे जाने वाली भूमि पर स्टाम्प की दर अत्यधिक हो गयी है।
इसी तरह से बाजपुर में दिनांक 03.10.2020 को जिलाधिकारी द्वारा 4805 एकड़ जमीन की खरीद-बेच रोक दी गयी है। उक्त भूमि में क्रय-विक्रय के अधिकार समाप्त कर दिये है तदोपरांत भूमि का Land Use भी बदला नहीं जा सकता जिन उद्यमियों ने बाजपुर में उद्योग लगाने के लिए शासन द्वारा MOU कर भूमि खरीदने के अनुबंध किये थे वे सभी अधर में अटक गये हैं। हमारे ग्रुप द्वारा भी माननीय प्रधानमंत्री जी के आवाहन पर investor Summit 2018 में बाजपुर में उद्योग लगाने के लिए MOU sign कर भूमि खरीदने हेतु निवेश किया था तदोपरांत व सभी निवेश अधर में हैं ।
पत्र में सीएम से आग्रह किया गया है कि प्रदेश की प्रतिष्ठा व विकास को ध्यान में रखते हुये उद्योगो के स्थापित होने के पश्चात अनेक प्रकार के कर व उससे होने वाले विकास से होने वाले राजस्व का आकलन किया जाए। उत्तर प्रदेश के विकास के वृहद आकलन के अनुसार ही हमारे प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी सोच और दूरदर्शिता को भी दूरगामी बनाना होगा जिससे पूंजी विनियोजन के प्रदेश में अवरोधों व दूर तक जा रही नकारात्मक छवि को सुधारा जा सके।