एक्सक्लुसिव

गैरसैंणः दीक्षित आयोग ने गिनाईं हैं 17 खामियां

ग्रीष्मकालीन राजधानी मुद्दे पर सरकार को रखना होगा इन खामियों का भी ध्यान

विस के पटल पर लंबित है राजधानी चयन आयोग की रिपोर्ट

अब तक इस रिपोर्ट पर किसी भी सरकार ने नहीं किया फैसला

न्यूज वेट ब्यूरो

देहरादून। मुख्यमंत्री ने गैरसैंण (भराड़ीसैंण) को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन बनाने की घोषणा की है। सरकार के सामने इस मसले पर आगे बढ़ने में तमाम चुनौतियां हैं। सरकार को दीक्षित आयोग की रिपोर्ट में गिनाईं गईं 17 अहम कमियों से निजात पाने के लिए तमाम कदम उठाने होंगे।

भाजपा ने उत्तराखंड राज्य तो बनाया। लेकिन राजधानी का मसला राज्य सरकार पर ही छोड़ दिया। अब 20 साल बाद भाजपा सरकार ने गैरसैंण (भराड़ीसैंण) में  उत्तराखंड की ग्रीष्मकाल की राजधानी बनाने की घोषणा में की है। इसके लिए जनभावनाओं का तर्क दिया जा रहा है। लेकिन इस दिशा में आगे बढ़ना सरकार के लिए आसान नहीं होगा।

यहां बता दें कि राज्य गठन के बाद सरकार ने जस्टिस दीक्षित की अध्यक्षता में राजधानी चयन के लिए एक आयोग गठित किया था। करोड़ों के खर्च के बाद आयोग ने 2009 में अपनी रिपोर्ट सरकार को दी। सरकार ने इसे विस के पटल पर रख दिया। उसके बाद से कांग्रेस और भाजपा दोनों पांच-पांच साल सत्ता में रही। लेकिन इस रिपोर्ट को न तो नकारा गया और न ही स्वीकार किया गया।

अब समर कैपिटल की घोषणा के बाद रिपोर्ट फिर से चर्चा में हैं। सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट की अपील पर सूचना आयोग के आदेश पर आयोग की रिपोर्ट उत्तराखंड की वेबसाइट पर सार्वजनिक की गई है तथा नदीम को इसी प्रति भी उपलब्ध कराई गई है। रिपोर्ट के अनुसार आयोग को कुल 268 सुझाव मिले। इसमें 192 व्यक्तियों के, 49 संस्थाओं के तथा 15 राजनीतिक दल व संगठन के सुझाव शामिल हैं। गैरसैंण के पक्ष में केवल 126 सुझाव मिले। यानि आधे से अधिक सुझावों ने गैरसैंण का समर्थन नहीं किया है।

ये दिए गए गैरसैंण के पक्ष में आधार

*किसी भी जिले से लगभग समान दूरी * स्थानीय लोगों को कम से कम हटाने की आवश्यकता * भौगोलिक दृष्टि से मध्य में स्थिति * आयोग द्वारा लिए गए जनमत में सर्वाधिक मत

विरोध में दिए गए ये आधार

*पहुंच की अत्याधिक खराब स्थिति, (रेल,बस, हवाई सेवा का अभाव) * राष्ट्रीय राजधानी से अधिक दूरी * वर्तमान तथा भविष्य के विकास के लिये अपर्याप्त भूमि

*अपर्याप्त जल * भौतिक विकास के लिये मिट्टी का अनुकूल न होना * स्लोप्स का अधिक होना, फाल्ट व सैस्मिक जोन होना * बाढ़ व भूकंप की संभावनाओं वाला क्षेत्र * खराब मौसम (वर्षा, बर्फबारी) * मूलभूत सुविधाओं का अभाव (बिजली, सड़क, पानी)

आवश्यक भौतिक सुविधाओं का अभाव (बिजली, पानी, सड़क, सीवेज, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि) *जनमत (अरिजिता बंसल द्वारा लिया गया) का विरूद्ध होना * पर्यावरण पर नकरात्मक प्रभाव * सुरक्षित वनों तथा सुरक्षित वन्य जीवों को (वाइल्ड लाइफ सैक्चरी) को नुकसान जनसंख्या के अनुसार मध्य में स्थित न होना * अन्तर्राष्ट्रीय सीमा के अत्यन्त करीब होने से असुरक्षित होना आदि

 

 

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