धड़ेबाज हरदा, प्रीतम, गणेश की हाईकमान ने की नाटकीय ‘विदाई’
इन्हीं तानों को माना करारी हार का जिम्मेदार !
य़शपाल का कद बढ़ना तो पहले से था तय
अब युवाओं के सहारे आगे बढ़ने की कोशिश
देहरादून। कांग्रेस आलाकमान ने देर से ही सही लेकिन धड़ेबाज नेताओं की विदाई की पटकथा लिख ही डाली। कहा जा रहा है कि हाईकमान ने विस चुनाव में करारी हार के लिए हरदा, प्रीतम और गोदियाल को ही जिम्मेदार माना है। यशपाल आर्य का कद बढ़ना पहले से तय माना जा रहा था। तो आगे के लिए हाईकमान ने युवा चेहरों पर भरोसा जताया है।
विस चुनाव से पहले ही कांग्रेसी नेताओं की धड़ेबाजी खुलकर सामने आ गई थी। टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार के मुद्दों तक में साफ दिखा कि कांग्रेसी दिग्गज एक-दूसरे की ही टांग खींचते रहे। नतीजा यह रहा कि मतदान के बाद भी सत्ता में वापसी का ख्वाब देख रहे नेता खुद ही धड़ाम हो गए। इस करारी हार के बाद भी धड़ेबाजी थमी नहीं थी।
अब कांग्रेस हाईकमान ने भाजपा से कांग्रेस में आए यशपाल आर्य तो नेता प्रतिपक्ष बनाया है तो खटीमा सीट पर मुख्यमंत्री को हराने वाले युवा भुवन कापड़ी को उप नेता प्रतिपक्ष। इसी तरह से विस चुनाव में हार चुके दूसरे युवा करन माहरा को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी। ऐसा करके हाईकमान ने हरीश रावत, प्रीतम सिंह और गणेश गोदियाल की सक्रिया राजनीति से विदाई तय सी कर दी है।
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सूत्रों का कहना है कि हाईकमान ने गहन मंथन के बाद पाया कि कांग्रेस की करारी हार की असली वजह नेताओं की धड़ेबाजी ही रही। अपना खुद का सियासी बचाए रखने को अति महत्वाकांक्षी नेताओं ने कांग्रेस पार्टी को ही दांव पर लगा दिया। अगर ऐसे नेताओं को फिर से तरजीह दी जाती तो आपसी कलह और बढ़ने की आशंका थी। और इसका नुकसान कांग्रेस पार्टी को झेलना पड़ता। शायद यही वजह रही कि हाईकमान ने एक अप्रत्याशित फैसला लेकर धड़ेबाज नेताओं को उनकी सियासी औकात समझाने की कोशिश की है। बहरहाल, हाईकमान के फैसले ने कांग्रेस के कथित बड़े चेहरों पर फिलवक्त मायूसी छा गई है। अब देखने वाली बात ये होगी कि आने वाले समय में ये नेता कुछ सबक लेकर पार्टी हित की बात करते हैं या फिर अभी भी उनका सियासी गुरूर बरकरार रहता है।
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