एक्सक्लुसिव

भराड़ीसैंणः बदहाल रहे सुरक्षा कर्मी

खुले आसमान के नीचे झेलते रहे बारिश, बर्फीली हवा और बर्फबारी

न्यूज वेट ब्यूरो

देहरादून। भराड़ीसैंण में एक तरफ तो ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषणा पर जश्न हो रहा था तो दूसरी ओर चारों तरफ तैनात सुरक्षाकर्मियों के बुरे हाल थे। ये कर्मी खुले आसमान के नीचे ही बाऱिश, बर्फीली हवा और बर्फबारी के बीच अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। न तो विधानसभा सचिवालय ने इनकी ओर कोई ध्यान दिया और न ही इन जवानों के आला अफसरों ने इनकी कोई सुध ली।

भराड़ीसैंण में मुख्यमंत्री और स्पीकर के लिए आवास बनाए गए हैं। विधायकों और मंत्रियों के रहने के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था है। अफसरों के लिए भी सरकारी आवास उपलब्ध है। स्टाफ के लिए भी ट्रांजिट हास्टल है। चार मार्च को मुख्यमंत्री ने भराड़ीसैंण (गैरसैंण) को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया। इसके बाद ही वहां जश्न का माहौल बन गया था।

यहां तक तो बस ठीक ही कहा जा सकता है। लेकिन सबसे बुरे दौर से सुरक्षा में तैनात महिला और पुरुष कर्मी गुजरे। विधानभवन के चारों ओर से लेकर लगभग चार किमी. के दायरे में इन लोगों को तैनात किया गया था। ये सभी खुले आसमान के नीच ही ड्यूटी कर रहे थे। बारिश और ठंडक से बचने के लिए इनके पास कोई अस्थायी व्यवस्था तक नहीं थी। पांच मार्च की शाम से ही वहां बारिश शुरू हो गई और हवा एकदम बर्फीली हो गई। किसी ने भी इनकी कोई सुध नहीं ली। छह मार्च को वहां जमकर बर्फबारी हुई। बारिश के साथ हवा और भी बर्फीली हो गई। कोहरे के रूप में बादलों की चादर भी फील्ड में पसर गई। लेकिन ये कर्मी अपनी ड्यूटी पर जमे रहे।

खास बात यह है कि मौसम विभाग ने पहले से ही खराब मौसम और बर्फबारी की चेतावनी दे रखी थी। लेकिन इसके बाद भी फील्ड में तैनात इन लोगों की किसी ने कोई सुध नहीं ली। अफसर और नेता तो हीटर का मजा लेते रहे और इन लोगों को अलाव के लिए लकड़ियां तक मयस्सर न हो सकीं। कायदे से तो खराब मौसम की जानकारी के बाद इन लोगों के लिए भी टेंट आदि की व्यवस्था होनी चाहिए थी। लेकिन न तो विधानसभा सचिवालय और न ही पुलिस महकमे ने इस ओर कोई ध्यान दिया।

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