विस भर्तीः पदाधिकारियों को हटाकर संघ ने पेश की सुचिता की मिसाल
अब भाजपा संगठन पर आ गया नैतिक दबाव
एक स्पीकर अभी भी ले रहे मंत्री पद की मौज
एक आला पदाधिकारी भी अपने पद पर काबिज
देहरादून। विधानसभा भर्ती घोटाला सामने आते ही आरएसएस ने कथित तौर पर लिप्त अपने प्रमुख पदाधिकारियों को पद से हटा दिया था। अब उनके स्थान पर नए पदाधिकारी तैनात कर दिए गए हैं। इसके विपरीत भाजपा संगठन ने इन हालात पर मौन साध रखा है। भर्तिया करने वाले पूर्व स्पीकर मंत्री पद की मौज ले रहे हैं तो एक सिफारिश करने वाले एक आला पदाधिकारी भी सत्ता के नशे में हैं। संघ के इस एक्शन से निश्चित तौर पर भाजपा संगठन पर पर नैतिकता को अमल में लाने का दबाव है।
विस में मनमानी भर्तियों का खुलासा होने के बाद संघ और भाजपा ने कुछ आला नेताओं के नाम भी चर्चा में थे। संघ ने तत्काल ही अपनी सुचिता दिखाई और प्रांत प्रचारक के साथ ही सह प्रांत प्रचारक को उत्तराखंड से बाहर का रास्ता दिखा दिया। अभी दो रोज पहले दोनों पदों पर नए पदाधिकारियों की तैनाती भी कर दी गई है। ऐसा करके संघ ने ये संदेश देने की कोशिश की है कि उनके संगठन में सुचिता ही सर्वोपरि है। और इसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है।
एक तरफ संघ इस तरह की सुचिता दिखा रहा है तो भाजपा संगठन को इसकी कोई भी परवाह नहीं है। विस में मनमानी भर्तियां करने वाले पूर्व स्पीकर इस समय भी काबीना मंत्री पद पर आसीन है। न तो भाजपा ने उनसे इस्तीफा देने को कहा और न ही उन्होंने खुद नैतिकता दिखाई। इसी तरह से भर्तियों में सिफारिश करने वाले भाजपा संगठन के एक ताकतवर पदाधिकारी भी अपने पद पर आसीन हैं। मूल रूप से संघ से आने वाले इस पदाधिकारी ने भी अपने मूल कैडर की सुचिता पर कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजा ये है कि ये जनाब आज भी अपने पद पर काबिज है और सत्ता का सुख भोग रहे हैं।
सवाल यह है कि क्या उत्तराखंड भाजपा का संगठन अपने मातृ संगठन आरएसएस की सुचिता से कोई भी नसीहत लेगा और कथित तौर पर लिप्त लोगों पर कोई एक्शन लेगा।