छात्रवृत्ति घोटालाः दोषियों की बहाली को बेचैनी

समाज कल्याण विभाग में एक अफसर की मनमानी
प्रमोशन की बजाए प्रतिनियुक्ति पर तैनाती का खेल
चार्जशीटेड अफसरों को बहाल करने का खाका खींचा
सीएम दफ्तर के नाम पर कराया करोड़ों का भुगतान
आखिर किसकी शह पर इतना बेखौफ है ये अफसर
नई सरकार में भी अपने अंदाज में कर रहें हैं काम
देहरादून। समाज कल्याण विभाग में अरबों के घोटाले के बाद भी एक अफसर अभी भी मनमानी पर आमदा है। इस अफसर को सरकारी खजाने से गए अऱबों की चिंता नहीं है, बल्कि इसकी चिंता चार्जशीटेड अफसरों को बहाल करने की की है। इतना ही नहीं, विभाग में पदोन्नति की बजाय आला अफसरों के रिक्त पदों को प्रतिनियुक्ति की कोशिश भी हो रही है। अहम बात यह भी है आखिर इस अफसर को किसकी शह है जो बेखौफ अंदाज में मनमाने आदेश पर आदेश जारी कर रहा है।
उत्तराखंड समाज कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति के नाम पर 500 करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है। एसआईटी जांच में कई अफसर और निजी कॉलेज प्रबंधन से जुड़े लोग जेल जा चुके हैं। यह अलग बात है कि सत्ता से नजदीकी रखने वाले अभी जेल नहीं गए हैं। इस मामले की सुनवाई नैनीताल हाईकोर्ट में भी चल रही है। इस अरबों के घोटाले की विभागीय अफसरों को शायद कोई चिंता ही नहीं है। यही वजह है कि चार्जशीटेड अफसरों को बहाल करने को एक अफसर खासे बैचेन हैं।
पीसीएस से प्रोन्नत आईएएस अफसर रामविलास यादव लंबे समय ने इसी विभाग के अपर सचिव हैं। इन्होंने 2018 में सीएम दफ्तर का हवाला देते हुए मंगलौर हरिद्वार के एक निजी कॉलेज को नियमों के विपरीत कई करोड़ की छात्रवृत्ति अपने हस्ताक्षरों से जारी करा दी। इस कॉलेज का प्रबंधन एसआईटी जांच में जेल जा चुका है।
पुष्कर सिंह धामी के सीएम बनने के बाद ये अफसर और भी खुलकर खेल रहा है। इस अफसर के दो आदेश सोशल मीडिया में खासे वायरल हो रहे हैं। एक आदेश में ये अफसर चाहते हैं कि समाज कल्याण निदेशालय में रिक्त चल रहे आला अफसरों के पद प्रतिनियुक्ति से भरे जाएं। इस बारे में निदेशक से रिपोर्ट मांगी है। सवाल यह है कि विभागीय स्तर पर प्रमोशन करने की बजाए ये अफसर प्रतिनियुक्ति क्यों चाहते हैं। दूसरा इनका पत्र प्रमुख सचिव को न्याय को लिखा गया है। इसमें ये चाहते हैं कि निलंबित अफसरों की बहाली के लिए तत्काल बैठक की जाए। साहिब ने इसके लिए 16 जुलाई की तारीख भी तय कर दी है। सोशल मीडिया में सवाल उठाया जा रहा है कि छह से भी अधिक सालों से इसी विभाग में तैनात अफसर की चिंता अऱबों के घोटालों को लेकर क्यों नहीं है। ये अफसर क्यों चाहता है कि निदेशालय के आला पद प्रतिनियुक्ति से भरे जाएं। अहम मुद्दा यह भी उठाया जा रहा है कि आखिर इस अफसर को किसकी शह है, जो खुलकर खेल रहा है। काश नए सीएम इस विभाग पर भी ध्यान दें जिसमें अऱबों का घोटाला हो चुका है और एक अफसर खुद को सबसे ऊपर मान रहा है।
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