छात्रवृत्ति घोटालाः जीओ को जांच में लेगी एसआईटी !

एक कॉलेज को भुगतान के लिए शासनादेश किया जारी
निरस्त आवेदनों को भी आदेश से बनाया पात्र
इस कॉलेज में भी पाया गया है भारी घोटाला
कॉलेज प्रबंधन को भी भेजा जा चुका है जेल
जीओ करने वाले अफसर अभी भी उसी पद पर
त्रिवेंद्र सरकार के समय में जारी किया गया जीओ
अफसर ने सीएम दफ्तर के नाम पर किया खेल
देहरादून। ये उत्तराखंड का सिस्टम भी गजब का है। फर्जी छात्रवृत्ति हड़पने वाले कॉलेज के प्रबंधन से जुड़े लोग तो जेल जा रहे हैं। लेकिन इनकी मदद करने वाले अफसरों को पता नहीं किसकी शह है कि इनसे पूछा भी नहीं जा रहा है। एक मामले में तो विभागीय अपर सचिव अपने स्तर से ही सीएम दफ्तर के निर्देश का हवाला देकर नियमों के विपरीत एक कॉलेज को दो साल की छात्रवृत्ति जारी करवा दी। कॉलेज प्रबंधन को तो एसआईटी ने जेल भेज दिया। लेकिन जीओ करने वाले आईएएस अफसर ने पूछताछ भी नहीं की।
उत्तराखंड में एससी, एसटी और बीसी छात्रवृत्ति में अरबों का घोटाला खासा चर्चा में है। समाज कल्याण विभाग के छोटे अफसर और पैसा हड़पने वाले कॉलेज के प्रबंधन के कई लोग जेल जा चुके हैं। लेकिन एसआईटी इस घोटाले की तह में नहीं जा रही है। इस दिनों सोशल मीडिया में समाज कल्याण विभाग के अपर सचिव रामविलास यादव का एक आदेश खासा वायरल हो रहा है। (देखें आदेश)

इसमें प्रमोटी आईएएस यादव हरिद्वार के जिला समाज कल्याण अधिकारी को लिखते हैं कि आइडियल बिजनेस स्कूल मंगलौर के एससी-एसटी और बीसी वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति दी जानी है। एनआईसी के निदेशक ने पोर्टल में इसके भुगतान की व्यवस्था होने से इंका कर दिया है। लिहाजा वित्तीय वर्ष 2015-16 और 2016-17 के स्थायी और अस्थायी तौर पर निरस्त आवेदन पत्रों को पात्र या स्वीकृत मानते हुए ऑफलाइन या एनईएफटी के माध्यम से भुगतान सुनिश्चित किया जाए। 20 फरवरी-2018 को जारी इस आदेश में अपर सचिव ने लिखा कि ऐसा मुख्यमंत्री दफ्तर से मिले निर्देशों के क्रम में किया जा रहा है। इसे नजीर न माना जाए।
अपर सचिव के इस आदेश पर जिला समाज कल्याण अधिकारी ने इस कॉलेज को भुगतान कर दिया। एसआईटी ने अपनी जांच में पाया कि इस कॉलेज ने ये भुगतान फर्जी तरीके से लिया है। और कॉलेज प्रबंधन से जुड़े कई लोगों को जेल भेज दिया। सवाल यह है कि केवल एक कॉलेज को नियमों को शिथिल करके भुगतान का जीओ जारी करने वाले आईएएस अफसर रामविलास यादव से एसआईटी से कई पूछताछ की। क्या एसआईटी ने यह जानने की कोशिश की त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते उनके दफ्तर से किस व्यक्ति से इस तरह से अनियमित भुगतान का आदेश किया और एक अफसर ने उसे मान भी लिया।
यहां बता दें कि पीसीएस रहते यूपी में ही जमे रहने वाले यादव उस वक्त उत्तराखंड आए, जबकि इनका प्रमोशन आईएएस कैडर में तय हो गया था। ये अफसर पांच से भी अधिक सालों से समाज कल्याण विभाग में ही जमे हैं। अरबों का घोटाला सामने आने के बाद भी इस अफसर को इस विभाग में ही बनाए ऱखा गया। कांग्रेस और भाजपा दोनों की दलों की सरकारों में इनकी तूती बोलती रही है।
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