टेंपरेरी कर्मियों पर सरकार की निगाहें तिरछीं
अब सभी को बताना होगा कितनी है चल और अचल संपत्ति
आपने और पत्नी ने क्या खरीदा और क्या बेचा
इस नए आदेश पर खड़े हो रहे हैं तमाम सवाल
देहरादून। नया निजाम सुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ आगे बढ़ता दिख रहा है। एक आदेश तो यही इशारा कर रहा है जिसमें कहा गया है कि अस्थायी तौर पर सेवारत कर्मियों और अफसरों को भी ये बताना होगा कि उन्होंने अपने खुद के या पत्नी के नाम पर क्या खरीदा और क्या बेचा। इन्हें चल संपत्ति यानि की अपने बैंक खातों और जेवरात की डिटेल भी सरकार को देनी होगी। इस नए आदेश से सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिरकार कौन हैं लोकसेवक और इन लोगों को अब तक अफसरशाही ने इस दायरे से बाहर क्यों रखा।
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के दस्तखतों से 19 मार्च को एक आदेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि यह पाया गया है कि दैनिक वेतनभोगी के तौर पर कार्यरत कार्मिक और अफसर अपने या अपनी पत्नी के नाम पर क्रय-विक्रय की सूचना विभाग को नहीं देते हैं। साथ ही ये लोग विभागीय अनुमति भी नहीं ले रहे हैं। दैनिक वेतनभोगी कर्मी भी लोकसेवक का परिधि में आते हैं। ऐसे में इन लोगों द्वारा अर्जित संपत्ति का विवरण विभाग को देना जरूरी है। लिहाजा सभी विभाग ये सुनिश्चित करें कि अस्थायी तौर पर सेवारत अफसर और कर्मी अपनी चल और अचल संपत्ति का ब्योरा प्रशासनिक विभाग को हर हाल में उपलब्ध कराएं।
अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि अब तक ऐसा करना केवल स्थायी कर्मियों और अफसरों के लिए ही था। एक सेवानिवृत्त अफसर से इस बारे में बात की गई। उनका कहना था कि लोकसेवक की परिभाषा में स्थायी कार्मिक और अफसरों के साथ ही मंत्री और मुख्यमंत्री भी आते हैं। उनके लिए यह नियम पहले से ही है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह अलग बात है कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में हर वो शख्स या संस्था शामिल होती है तो सरकारी खजाने से किसी भी तरह से पैसा ले रहे हैं। हो सकता है कि सरकार को किन्हीं लोगों के बारे में कोई सूचना मिली हो तो ये आदेश जारी कर दिया गया हो। वैसे अस्थायी कार्मिकों पर ये नियम सेवा नियमावली के अनुसार लागू नहीं होता। हां, भ्रष्टाचार के मामले में अस्थायी कार्मिक या अफसर को भी लोकसेवक माना जाएगा।