गजबःलोकसेवक भी कर रहे ठेकेदारी
कल्जीखाल क्षेत्र प्रमुख के खिलाफ शिकायत पर शासन गंभीर
अपर सचिव ने पंचायतीराज निदेशक को भेजा खत
एक्ट के अनुसार तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश
देहरादून। उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम-2016 अधीन प्रधान, उप प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, प्रमुख, उप प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष और जिला पंचयत सदस्य आदि लोकसेवक की श्रेणी में आते हैं। ये लोग निर्वाचित होने के बाद ठेकेदारी नहीं कर सकते हैं। लेकिन पौड़ी जनपद की कल्जीखाल क्षेत्र पंचायत प्रमुख श्रीमती बीना राणा ए श्रेणी की ठेकेदारी कर रही है। इसकी शिकायत पर शासन ने पंचायतीराज निदेशक को तत्काल नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
पौड़ी निवासी महेंद्र सिंह असवाल ने मुख्यमंत्री को एक शिकायती पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि कल्जीखाल क्षेत्र पंचायत प्रमुख श्रीमती बीना राणा के एकल स्वामित्व वाली केबीएम बिल्डर कंपनी लोनिवि और पीएमजीएसवाई योजना में एक श्रेणी के ठेकादार के रूप में पंजीकृत है। प्रमुख बनने के बाद भी उनकी कंपनी को विभागीय मिलीभगत से करोड़ों रुपये के काम दिए जा रहे हैं। शिकायत में पंजीकरण के लिए फर्जी दस्तावेज दाखिल करने का आऱोप है। ये तमाम कागजात आईटीआई के तहत हासिल किए गए हैं।
शिकायत के अनुसार उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम-2016 के तहत प्रमुख लोकसेवक की श्रेणी में आते हैं और ठेकेदारी का काम नहीं कर सकते। नियमानुसार लोकसेवक के पद पर निर्वाचित होने के बाद उन्हें खुद ही अपना ठेकेदारी का पंजीकरण निरस्त करवा लेना चाहिए था। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और उनके स्वामित्व वाली कंपनी को लगातार काम दिया जा रहा है। यह नियमविरुद्ध है और इसमें एक साल का कारावास और जुर्माने का प्रावधान है। शिकायत में प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। इस शिकायती पत्र की प्रतियां सभी संबंधित अधीक्षण और अधिशाषी अभियंताओं को भी भेजी गईं हैं।
इस शिकायत के बाद पंचायतीराज विभाग के प्रभारी सचिव हरीचंद सेमवाल ने विभागीय निदेशक को लिखा है कि मामले का परीक्षण करके अपने स्तर से नियमानुसार यथोचित कार्रवाई की जाए। इस मामले में प्रमुख का पक्ष जानने का प्रयास किया गया। लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। पक्ष मिलने पर प्रकाशित किया जाएगा।
जिपं अध्यक्ष का की फर्म का पंजीकरण निरस्त
बागेश्वर जिला पंचायत के अध्यक्ष पर चुनी गई बसंती देवी भी एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में साझीदार है। उनकी कंपनी भी ए श्रेणी के ठेकेदार के रूप में पंजीकृत है। इस एक्ट के प्रावधानों के खिलाफ बसंती देवी ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। लेकिन कोई राहत नहीं मिल सकी। इसके बाद लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता ने उनकी कंपनी का पंजीकरण निरस्त कर दिया है।