उत्तराखंड

36वीं पुण्य तिथि पर याद किए गए एच एन बहुगुणा

36वीं पुण्य तिथि पर याद किए गए एच एन बहुगुणा

गांधी व नेता सुभाष के व्यक्तित्वों का मिश्रण था स्वर्गीय बहुगुणा के व्यक्तित्व में – सूर्यकांत धस्माना

देहरादून: देश के महान नेता भारत के पूर्व वित्तमंत्री व उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हिमालय पुत्र स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा का व्यक्तित्व महात्मा गांधी व नेता सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्वों का मिश्रण था यह बात आज अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य व उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा की ३६ वीं पुण्य तिथि के अवसर पर घंटाघर स्थित उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण के पश्चात स्वर्गीय बहुगुणा को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे उनके अनुयायियों को संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि एक सुदूर पहाड़ी जिले के गांव में जन्म लेने वाले मध्यमवर्गीय परिवार के बालक ने अपनी प्राथमिक शिक्षा पौड़ी के कुर्सी ब्लॉक में पूरी कर माध्यमिक शिक्षा के लिए देहरादून का रुख किया और फिर चालीस के दशक में स्वतंत्रता के आंदोलन के गढ़ बन चुके इलाहाबाद उच्च शिक्षा के लिए पहुंच गए और इलाहाबाद विश्विद्यालय में जब प्रवेश लिया तो छात्र राजनीति में सक्रिय हो कर एक प्रकार छात्र नेता के रूप में उभरे और वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के संपर्क में आ कर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए तो अंग्रेजों की नजर में चढ़ गए और अपनी सक्रियता व क्रांतिकारी छवि के कारण दस हजार के इनामी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बन गए कई बार जेल गए और भारत की स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस की मुख्यधारा की राजनीति में आ कर एक श्रमिक नेता के रूप में उभरे और पंडित जवाहर लाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री के संपर्क में आए और देश के पहले आम चुनाव में ही उत्तरप्रदेश की विधानसभा के सदस्य बने और फिर संसदीय सचिव से लेकर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के संचार, पेट्रोलियम व वित्त मंत्री तक के पदों को सुशोभित किया।

धस्माना ने कहा कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री रहते हुए उनके इंदिरा गांधी से मतभेद हुए जिसके कारण उन्होंने कांग्रेस से त्यागपत्र दिया और बाबू जगजीवन राम के साथ मिल कर अपनी अलग पार्टी कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी बनाई जिसका बाद में जनता पार्टी में विलय हुआ । फिर जनता पार्टी में बिखराव हुआ तो बहुगुणा वापस कांग्रेस में आए किंतु ज्यादा दिन वहां नहीं रह पाए और फिर एक अलग पार्टी लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी और फिर उसका लोकदल में विलय एक लंबा संघर्ष का इतिहास बहुगुणा जी ने लिखा।

अपने अंतिम समय में वे बहुत व्यथित रहे क्योंकि उनके अधिकांश सहयोगी उनको छोड़ कर तब वीपी सिंह के साथ नव गठित जनता दल में चले गए किंतु उन्होंने कभी हार नहीं मानी और १७ मार्च १९८९ उनकी मृत्यु हुई तो उससे एक माह पूर्व फरवरी में उन्होंने लखनऊ में एक विशाल रैली आयोजित कर अपनी ताकत पूरे देश को दिखाई। धस्माना ने कहा कि एच एन बहुगुणा ने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया और हमेशा सत्ता से ज्यादा तरजीह अपने सिद्धांतों को दी और इसीलिए दोनों बार जब उन्होंने कांग्रेस छोड़ी तब कांग्रेस सत्ता में थी और सत्ता को ठोकर मार कर बहुगुणा ने संघर्ष का रास्ता चुना।

धस्माना ने कहा कि बहुगुणा जी हमेशा देश में गरीब श्रमिक अल्पसंख्यकों की आवाज को निडर हो कर उठाते थे और पूरे जीवन महात्मा गांधी के पूर्ण स्वराज के नारे के अनुरूप देश की जनता की सामाजिक आर्थिक उन्नति के लिए काम करते रहे इसीलिए अगर उनके व्यक्तित्व के बारे में विश्लेषण करने पर महात्मा गांधी के सर्व जन हिताय की सोच व नेता सुभाष चंद्र बोस के संघर्षों की झलक उनके व्यक्तित्व में दिखाई पड़ती है। धस्माना ने कहा कि अगर हम आज उनको सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते हैं तो उनके बताए रस्ते पर चल कर ही उनको श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकते हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कमर सिद्दीकी व संचालन प्रमोद गुप्ता ने किया। इस अवसर पर नगर निगम पार्षद संगीता गुप्ता, पार्षद अभिषेक तिवारी, सोम प्रकाश चौहान, आनंद सिंह पुंडीर, दिनेश कौशल, एस पी बहुगुणा, शाहिद ,सरदार जसविंदर सिंह मो, ट्विंकल अरोड़ा, घनश्याम वर्मा, आदर्श सूद, प्रेम सागर, विवेक घिल्डियाल, अनुराग गुप्ता, कृष्णा बहुगुणा अजय उनियाल राजकुमार चौरसिया आदि अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button