कोरोनाः माइनस 70 तापमान पर रखे जाएं सैंपल
उत्तराखंड में मनमर्जी से घोषित किए जा रहे हैं कंटेंमेंट जोन
राज्य में तय तापमान नहीं रखे जा रहें सैपल्स
माकाक्स संस्था ने मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन
देहरादून। कोरोना जांच के लिए लिए जा रहे सैंपल्स की जांच में देरी हो रही है। माकाक्स संस्था का आरोप है कि गाइड लाइन के अनुसार पांचवें दिन से इन सैंपल्स को माइनस 70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर ही सुरक्षित रखा जा सकता है। संस्था ने मुख्यमंत्री को भेजे एक ज्ञापन में इस मुद्दे के साथ ही उत्तराखंड में मनमाने तरीके से घोषित किए जा रहे कंटेंमेंट जोन पर पर सवाल उठाए हैं।
मौलाना अबुल कलाम आजाद अल्पसंख्यक कल्याण समिति अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता नदीम उद्दीन ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजा है। इसमें कहा गया है कि वर्तमान में प्रदेश में कारोना संक्रमण दर अत्याधिक न होने पर भी समय से जांच रिपोर्ट नहीं आ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन, भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग तथा उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनुमोदित एसओपी के अनुसार सैम्पल प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी द्वारा अधिकतम चार सैंटीग्रेड तापमान पर सुरक्षित रखकर इसी तापमान पर प्रयोगशाला को परिवहन करके भेजा जाना चाहिए। पांच या अधिक दिन इस सैम्पल को शून्य से 70 सैंटीग्रेड अर्थात माइनस 70 पर ही रखा जा सकता है। इतने कम तापमान पर सैम्पल रखने की सुविधा उत्तराखंड में उपलब्ध न होने की जानकारी मिली है। ऊधमसिंह नगर जिले में इस अवधि से बहुत अधिक समय तक रूद्रपुर के सीए.ओ. कार्यालय में एक हजार से अधिक सैम्पिल डम्प रहने की खबरें समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई है। ऐसे में एसओपी से विपरीत वातावरण में रखे सैम्पलों की रिपोर्ट विश्वसनीय न होना स्वाभाविक है। इस व्यवस्थासुधार की आवश्यकता है।
ज्ञापन में कहा गया कि एसओपी में उल्लेखित तापमान से अधिक में रखे डंप सैम्पलों की जांच न कराकर पुनः सैम्पल लेकर अधिकतम 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट की व्यवस्था की जाए।
ज्ञापन में कहा गया है कि वर्तमान में मनमाने तरीके से नियम विरूद्ध कंटेंमेंट जोन बनाने के आदेश करके इन क्षेत्रों के लोगों के मूल अधिकार, मानवाधिकार तथा विधिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है, वहीं उन्हें सामाजिक, आर्थिक व मानसिक आघात पहुंच रहा है। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की तीसरी गाइडलाइन 16 मई 2020 के पैरा 5.1 से स्पष्ट है कि किसी क्षेत्र में 15 या अधिक मरीज पॉजिटिव पाए जाने पर ही, क्षेत्र में कम्युनिटी संक्रमण की संभावना देखते हुये उसे रोकने के लिये ही कंटोंन्मेंट जोन बनाया जा सकता है। जबकि मनमाने ढंग से एक घर में रहने वाले एक ही परिवार के चार सदस्यों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर ही काशीपुर के अल्लीखां में कंटेंमेंट जोन बनाकर 57 घरों के 500 से अधिक लोगों निरूद्ध करने जैसे मामले प्रकाश में आया है। इस पर भी प्रभावी नियंत्रण की जरूरत है।
इस मामले में स्वास्थ्य महमके का पक्ष जानने की कोशिश की गई। महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती का फोन पिक नहीं हुई। व्हाट्सएप पर भी संदेश दिया गया। लेकिन कोई जवाब नहीं मिल सका। पक्ष मिलने पर उसे प्रकाशित किया जाएगा।