उत्तराखंड

विश्व आत्महत्या निवारण दिवस: कोटा जैसे उच्च दबाव वाले कोचिंग हब्स में छात्र आत्महत्याओं पर राष्ट्रीय सम्मेलन

विश्व आत्महत्या निवारण दिवस: कोटा जैसे उच्च दबाव वाले कोचिंग हब्स में छात्र आत्महत्याओं पर राष्ट्रीय सम्मेलन।

देहरादून, भारत – 10 सितंबर 2024: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान के चिकित्सा एवं पुनर्वास मनोविज्ञान एवं अनुसंधान विभाग और एनजीओ अखिल भारतीय प्रतिभा उत्थान अभियान (एबीपीयूए) ने कोटा जैसे उच्च दबाव वाले कोचिंग हब्स में बढ़ते छात्र आत्महत्याओं के मामलों पर गहन चर्चा के लिए एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। यह सम्मेलन विश्व आत्महत्या निवारण दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न विशेषज्ञों और अधिकारियों ने छात्र आत्महत्या के बढ़ते संकट पर विचार विमर्श किया।

सम्मेलन के मुख्य अतिथिः

• डॉ. नीलेश आनंद भरने, आईपीएस, आईजी मॉडर्नाइजेशन और साइबर, उत्तराखंड पुलिस एवं मानसिक स्वास्थ्य के नोडल अधिकारी, उत्तराखंड सरकार, जिन्होंनें पुलिस और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को जोड़ते हुए आत्महत्या रोकथाम की दिशा में अपने अनुभव साझा किए।

• डॉ. तारा आर्या, डीजी हेल्थ, उत्तराखंड सरकार, जिन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के अपने अनुभव और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया।

• मेजर जनरल संजय शर्मा, विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित और सेंट जोसेफ अकादमी एलुमनी एसोसिएशन के वैश्विक अध्यक्ष, जिन्होंने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए संस्थानों और समाज की जिम्मेदारी पर जोर दिया।

सम्मेलन के प्रमुख बिंदु:

1. छात्र आत्महत्या की रोकथाम और हस्तक्षेप पर वैज्ञानिक सत्रः सम्मेलन में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आत्महत्या की रोकथाम के वैज्ञानिक तरीकों पर चर्चा की और छात्रों के मानसिक तनाव को पहचानने और उन्हें सही समय पर सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

2. कोटा जैसे कोचिंग हब्स में उच्च जोखिम वाले युवाओं में आत्महत्या और प्रबंधन पर पैनल चर्चा: विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने कोटा जैसे कोचिंग हब्स में छात्रों पर पड़ने वाले भारी मानसिक दबाव पर गहराई से चर्चा की और इस विषय पर विस्तृत समाधान प्रस्तावित किए।

3. राष्ट्रव्यापी अभियान और प्रतियोगिताओं की घोषणा: सम्मेलन में यह घोषणा की गई कि पूरे देश में छात्र मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न अभियान और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। इसका उद्देश्य छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में शिक्षित करना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

विशेषज्ञों के दृष्टिकोण:

• दिल्ली विश्वविद्यालय के चिकित्सा / नैदानिक मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. एसपीके जेना ने कहा कि कोचिंग उद्योग को विनियमित करना बेहद आवश्यक है ताकि छात्रों पर पड़ने वाला मानसिक तनाव कम हो सके और शिक्षा प्रणाली अधिक संतुलित बने।

• संस्थान के चिकित्सा मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र ढलवाल ने स्वॉट तथा ऐप्टिट्यूड एनालिसिस जैसी वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग करके लक्ष्य निर्धारण के महत्व पर जोर दिया और बताया कि कैसे इन विधियों के उपयोग से अपनी योग्यताओं तथा सीमाओं को पहचानते हुए सही तार्किक लक्ष्यों का निर्धारण छात्रों के मानसिक तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।

• अखिल भारतीय प्रतिभा उत्थान अभियान के सचिव श्री शशांक चतुर्वेदी ने कहा कि कोचिंग संस्थानों द्वारा अवास्तविक अपेक्षाओं को बढ़ावा देने से छात्र आत्महत्या के मामलों में वृद्धि हो रही है। उन्हों बात पर जोर दिया कि संस्थानों को छात्रों की क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए वास्तविक और व्यावहारिक लक्ष्यों की ओर प्रेरित करना चाहिए।

• डॉ. नीलेश आनंद भरने ने कहा कि कोटा जैसे कोचिंग हब्स में नकारात्मकता का वातावरण बना रहता है, और इसके चलते छात्रों पर मानसिक दबाव बढ़ता है। उन्होंने माता-पिता को भी अवास्तविक अपेक्षाओं के खतरों के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि बच्चों पर अनावश्यक मानसिक दबाव न बने।

समापन सत्र में दीपक कुमार गैरोला, सचिव, उत्तराखंड सरकार, ने अपनी समापन टिप्पणी में कहा कि:

• कोचिंग उद्योग को विनियमित किया जाना चाहिए ताकि छात्रों पर दबाव कम किया जा सके और शिक्षा का वातावरण अधिक स्वस्थ और सहयोगात्मक बने।

• छात्रों की दैनिक दिनचर्या में योग और ध्यान को अनिवार्य रूप से शामिल करना चाहिए ताकि वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें।

• संस्थानों में मंत्रों का जाप भी एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जिससे छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़े।

संस्थान के कार्यवाहक निदेशक मनीष वर्मा ने कहा कि प्रवेश से पहले वैज्ञानिक मूल्यांकन किया जाना चाहिए ताकि छात्रों की शैक्षणिक क्षमता और मानसिक स्थिरता का सही आकलन हो सके और उन्हें सही मार्गदर्शन दिया जा सके।

इस सम्मेलन का उद्देश्य छात्र आत्महत्याओं के मुद्दे पर गहन संवाद, सहयोग और ज्ञान साझा करना था, ताकि इस संकट से निपटने के लिए ठोस समाधान तैयार किए जा सकें। एनआईईपीवीडी और एबीपीयूए इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने और छात्र मानसिक स्वास्थ्य को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस सम्मेलन के माध्यम से यह संदेश स्पष्ट किया गया कि छात्रों की मानसिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर

काम करना होगा, ताकि आत्महत्या जैसी त्रासदी को रोका जा सके।

 

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