…तो इतने गरीब हैं उत्तराखंड के पूर्व सीएम
बकाया खत्म करने को लाया गया विधेयक हाईकोर्ट से खारिज
खंडूड़ी, निशंक, कोश्यारी, बहुगुणा को अदा करनी है रकम
राज्य सरकार की दूसरी कोशिश भी अब हो गई है विफल
न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर बकाया राशि खत्म करने को सरकार की ओर से लाया गया अध्यादेश नैनीताल हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। यह अध्यादेश सरकार की ओर से किया गया दूसरा प्रयास था। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या ये पूर्व सीएम इतने गरीब है कि बकाया खत्म करने को सरकार बार-बार कोशिश कर रही है।
उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास, वाहन और स्टाफ आदि पर खर्च का राज्य सरकार ही वहन करती थी। एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरा नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस बारे में आदेश को रद कर दिया और सभी से बाजार दर पर सुविधाओं की कीमत वसूलने का आदेश दिया। इसके बाद राज्य सरकार ने अध्यादेश का सहारा लिया और सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों पर बकाया एक तरह से खत्म कर दिया।
सरकार के इस अध्यादेश को फिर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। मुख्य न्यायमूर्ति जस्टिस रमेश रंगनाथ और जस्टिस आरसी खुल्बे ने इसकी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। आज पीठ ने अपने फैसले में सरकार के अध्यादेश को निरस्त कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्रियों में से भगत सिंह कोश्यारी पर 47.57 लाख, डा. रमेश पोखरियाल निशंक पर 40.95 लाख, बीसी खंडूड़ी परप 46.59 लाख और विजय बहुगुणा पर 37.50 लाख बकाया है। दिवंगत एनडी तिवारी के नाम पर बकाया राशि लगभग 1.20 करोड़ है।
अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि राज्य सरकार इन पूर्व मुख्यमंत्रियों पर बकाया राशि खत्म करने की इतनी कोशिश क्यों कर रही है। ऐसा नहीं है कि ये नेता इस स्थिति में नहीं है कि बकाया राशि का भुगतान कर सकें। फिर भी सरकार की बार-बार की कोशिशें यह सवाल जरूर खड़ा कर रही है कि क्या ये नेता वास्तव इतने ही गरीब हैं।