उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में ये है कोरोना जांच का आकंड़ा
इन जनपदों में सैंपल लेने का औसत 1.6 रोजाना
अब तक 84 हजार लोग आ चुके हैं राज्य में वापस
73 हजार लोग एक से दूसरे जिले में भी हैं गए
न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। राज्य में लौटने वालों की संख्या जिस अंदाज में बढ़ रही है, उसी अंदाज में नए संक्रमित भी सामने आ रहे हैं। राज्य के नौ पर्वतीय जिलों में भारी संख्या में प्रवासी लौट रहे हैं। लेकिन इन जिलों में जांच के लिए सैंपल लेने की स्थिति बेहद चिंताजनक है। हालात ये हैं कि बीते नौ सप्ताह में इन नौ जिलों में महज 911 सैंपल ही जांच के लिए गए हैं। इसका औसत पर्वतीय अंचल में रोजाना 1.6 का ही है।
पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या में पिछले आठ सप्ताह के मुकाबले तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इनमें से अधिकांश बाहर से लौट रहे प्रवासी ही है। अहम बात यह है कि जो मामले पकड़ में आ रहे हैं, उनसें से सभी मैदानी जनपदों के हैं। इसके विपरीत इस समय लौट रहे प्रवासियों में से अधिसंख्य राज्य के नौ पर्वतीय जिलों में जा रहे हैं। हालात ये हैं कि इन्हें कोरंटीन करने का जिम्मा नख विहीन ग्राम प्रधानों को दिया गया है। प्रशासनिक अमले ने इनसे दूरी बना ली है।
अब बात इन नौ पर्वतीय जिलों में कोरोना की पड़ताल को हो रही सैंपलिंग की। राज्य में कोरोना संकट पर तीखी नजर रखने के साथ ही सरकारी मशीनरी को लगातार आगाह कर रहे समाजसेवी अनूप नौटियाल का एक ट्वीट पर्वतीय अंचलों के हालात बयां करने के काफी है। अनूप के इस ट्वीट के अनुसार 15 मार्च से 16 मई तक कोरोना संकट को नौ सप्ताह पूरे हो चुके हैं। नौ सप्ताह की इस अवधि में राज्य के नौ पर्वतीय जिलों में महज 911 सैंपल ही जांच के लिए भेजे गए हैं। इन जिलों में लौट रहे प्रवासियों की संख्या को देखते हुए भी इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं की जा रही है।
रोजाना देखने में आ रहा है कि कोई न कोई वाहन अन्य राज्यों से उत्तराखंड में आ रहा है। इनकी मेडिकल जांच की व्यवस्था भी दो रोज पहले ही की गई है। ऐसे में हजारों की संख्या में लौट रहे लोगों को बगैर उचित जांच के ही अगर पहाड़ पर भेज दिया जाएगा और पहाड़ पर सैंपल लेने और उपचार की कोई व्यवस्था होने की दशा में हालात कहीं बेकाबू न हो जाएं।