सूबे की राजधानी देहरादून के गीता एनक्लेव में यहां के सत्तानशीं से लेकर जनपद व नगर पालिका प्रशासन शायद किसी हादसे का इंतजार कर रहे हैं। यह बात कुछ अजीब सी लग रही है, लेकिन यकीन मानिए यही सच है। यहां बरसात में सड़कें तालाब हो जाती हैं, आवाजाही ठप हो जाती है, और जन शिकायतें हमेशा ही नक्कारखाने की तूती हो कर रह जाती हैं। यहां के वाशिंदों के लिए अब ना तो मुख्यमंत्री हैल्प लाइन 1905 के मायने शेष बचे हैं और ना ही जिला प्रशासन या निगम प्रशासन की परिक्रमा के।
यहां लोगों का सीधे तौर पर कहना है कि गीता एनक्लेव, टाइटन रोड, मोहब्बेवाला, वार्ड न. 91, में जिस नाले से पानी की निकासी होनी थी वह गायब हो गया है। जबकि जमीन के नख्शे खसरों में यहां 9 फ़ीट चौड़ा एवं 55 फ़ीट लम्बा नाला 12 फ़ीट चौड़ा 39 फ़ीट लम्बा रास्ता दर्ज है।
इस सरेआम और गजब के अतिक्रमण का ही नतीजा है कि यहां आम जनमानस की जान का जोखिम बना हुआ है। अब तो निगम प्रशासन पर यह भी आरोप लग रहे है कि यह सब उन्हीं की शह पर हो रहा है।
समस्या के निदान हेतु मनु सिंह, अशोक रावत, पंकज सिंह खन्ना, गीता रतूड़ी, मनीष कुमार, दीप्ति चौहान, दीपिका उनियाल, हीरा सिंह, एसपी सेमवाल, गजेंद्र सिंह नयाल, उषा डोभाल, ममता गुलेरिया, कमलजीत सिंह, अरुणा सेमवाल, दुर्गा देवी, किरन देवी, जगदीश रौथाण आदि लोगों ने तमाम प्रयास किए, लेकिन कहीं भी सुनवाई ना होने का सीधा अर्थ तो यही निकलता है कि यहां का सिस्टम और सरकार शायद किसी हादसे का ही इंतजार कर रहे हैं, यदि ऐसा नहीं तो समाधान की दिशा में प्रयास धरातल पर उतर गए होते।