राजनीति

शुक्ला ‘जीते’ तो हारे ‘खैरवाल’ भी नहीं

सीएम के एक स्ट्रोक से विधायक और अफसर दोनों का सम्मान बचा

देहरादून। एक विधायक और एक आईएएस अफसर के बीच छिड़ी जंग में सीएम त्रिवेंद्र रावत ने एक मास्टर स्ट्रोक लिया। इससे विधायक और अफसर दोनों का सम्मान बनाए रखने की कोशिश की। इस जंग का नतीजा यही इशारा कर रहा है कि अगर किच्छा विधायक राजेश शुक्ला जीते हैं तो आईएएस नीरज खैरवाल की भी कहीं से हार नहीं हुई है।

ऊधमसिंह नगर के डीएम रहे डॉ. नीरज खैरवाल और किच्छा के विधायक राजेश शुक्ला के बीच लंबे समय से तनातनी थी। मामला इतना तूल पकड़ा कि विधायक ने डीएम के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल को भेज दिया। इतना ही नहीं सीएम त्रिवेंद्र की मौजूदगी में समीक्षा बैठक से केवल इस वजह से किनारा कर लिया कि वहां डीएम खैरवाल भी थे। शुक्ला ने साफ कर दिया कि खैरवाल के डीएम रहते वे कभी भी किसी बैठक में नहीं जाएंगे।

इसके बाद इस मामले में सीएम त्रिवेंद्र की एंट्री होती है। पहले तो बैठक के बाद उन्होंने डीएम की जमकर तारीफ की। इसके चंद घंटों बाद ही खैरवाल को अपना अपर सचिव बनाकर देहरादून बुला लिया। इसके साथ ही ऊर्जा महकमे में तैनाती भी कर दी। इस एक फैसले ने सीएम त्रिवेंद्र ने विधायक और अफसर दोनों के सम्मान को बनाए रखने की कोशिश की है।

अगर डीएम को हटाने के फैसले को विधायक के समर्थक अपनी जीत प्रचारित कर रहे हैं। उन्हें भले ही ऐसा लग रहा हो। लेकिन इस मामले में आईएएस अफसर डॉ.  नीरज खैरवाल भी किसी भी तरह से हारे नहीं है। सीएम दरबार में प्राइज पोस्टिंग और अहम महकमा देकर उनका सम्मान भी बनाए रखा गया है।

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