पहले ‘जुर्माना’ सरकारी खजाने में,अब है ठेकेदार की ‘कमाई’

दून में स्मार्ट पार्किंग के नाम पर गोरखधंधा !
जमीन किसी की और ठेका दिया किसी और ने
हर माह ठेकेदार की जेब में जा रहे हैं कई लाख
घंटाघर से जाखन तक चलाया जा रहा है खेल
देहरादून। राजधानी देहरादून में स्मार्ट पार्किंग के नाम पर गजब का गोरखधंधा चल रहा है। जिन स्थान पर वाहन खड़ा करने पर पुलिस चालान कर पैसा सरकारी खजाने में जमा करती थी, उसी स्थान पर अब वाहन खड़ा करने पर ठेकेदार अपनी खुद की कमाई कर रहा है। अहम बात यह भी है कि जमीन जिस विभाग की है, उसने इस पर मौन साध रखा है।
शहर की सबसे अहम सड़क घंटाघर से जाखन तक के दोनों किनारों पर लोग अपने दुपहिया और चार पहिया वाहन खड़े करते थे। सीपीयू और यातायात पुलिस के नजरों में यह अवैध था और वाहन का चालान करके स्वामी से जुर्माना लिया जाता था। जुर्माने की यह राशि सरकारी खजाने में जमा की जाती थी।
लेकिन अब नजारा एकदम विपरीत है। सड़क के दोनों किनारों को स्मार्ट पार्किंग का नाम दे दिया गया है। अब आप आराम से यहां अपने वाहन खड़ा करते हैं। यह अलग बात है कि अब इसके लिए आपको शुल्क देना पड़ेगा। दिल्ली की एक निजी फर्म को इसका ठेका दिया गया है। इस कथित वैध पार्किंग में चार पहिया वाहन एक घंटे खड़ा करने का शुल्क 30 रूपये और तीन घंटे तक का 55 रूपये। यह सारा पैसा ठेकेदार की कमाई बन गया है। यानि पहले जो स्थान अवैध था उसे ही अब वैध बनाकर ठेकेदार की जेब भरी जा रही है।
अहम बात यह भी है कि यह पूरी सड़क लोक निर्माण विभाग की है। य़ही विभाग इसकी मरम्मत और रखरखाव करता है। लेकिन स्मार्ट पार्किंग के बोर्ड पर एमडीडीए का जिक्र किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह ठेका एमडीडीए ने दिया है। इस पार्किंग स्मार्ट सिटी परियोजना का हिस्सा भी नहीं बताई जा रही है।
ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि लोक निर्माण विभाग की सड़क का वैध पार्किंग किस विभाग ने बनाया और किसने वाहनों से शुल्क वसूली का ठेका एक निजी कंपनी को दे दिया।