एक्सक्लुसिव

और बगैर पास के ही बागेश्वर पहुंची बस

36 यात्रियों को देहरादून से बिना मेडिकल जांच के ही भेजा

आठ घंटे तक अफसरों ने नहीं दिया रिस्पांस

इंसीटेंड कमांडर ने यात्रियों को किया कोरंटीन

चालक और परिचालक को भेज दिया वापस

मामले में सियासी दबाव की हो रही है चर्चा

न्यूज वेट ब्यूरो

देहरादून। महामारी के इस दौर में भी सरकारी मशीनरी अपने अंदाज में काम कर रही है। हालात ये हैं कि देहरादून से 34 लोगों को बगैर किसी मेडिकल जांच और बगैर किसी पास के ही बागेश्वर रवाना कर दिया गया। लंबी जद्दोजेहद के बाद इन्हें किसी तरह से संस्थागत कोरंटीन किया जा सका। चर्चा है कि एक नेताजी के इशारे पर यह कारनाम हुआ है।

मामला कुछ यूं है। 12 मई की रात्रि नौ बजे एक बस संख्या UK07PA-3166 बागेश्वर के बिलौना के एक स्कूल पर रोका गया। चालक और परिचालक ने इस बस में सवार 34 लोगों की सूची दी और बताया कि इन्हें देहरादून से लाया गया गया है। इन्सीडेंट कमांडर ने देखा कि इस सूची पर किसी के भी हस्ताक्षर नहीं है। बस के पास न तो कोई पास था और न ही देहरादून से बागेश्वर तक जाने की अनुमति वाला कोई पत्र। कोविड को लेकर बने जिले के व्हाट्स ग्रुप पर इसकी सूचना दी गई। इन लोगों का कोई मेडिकल भी नहीं कराया गया था। इसके बाद भी उच्च स्तर से कोई एक्शन नहीं लिया गया। इस बीच मौके का फायदा उठाकर दो यात्री वहां से भाग भी गए।

लंबी जद्दोजेहद के बाद भी जब उच्च स्तर से कोई निर्देश नहीं मिला तो इंसीडेंट कमांडर ने इन लोगों को घर जाने की अनुमति नहीं दी। 13 मई की सुबह कमांडर ने सभी आला अधिकारियों को सूचित किया कि वे अपने विवेक का इस्तेमाल करके सभी को संस्थागत कोरंटीन की संस्तुति करते हैं। इसके बाद जब गिनती हुई तो पता चला कि दो यात्री लापता है। इन्हें भी किसी तरह से तलाश करके संस्थागत कोरंटीन कराया गया।

इस मामले में अहम पहलू है कि देहरादून से इन यात्रियों को किसकी अनुमति से भेजा गया। आखिर क्या कारण था कि इस बस को न तो पास जारी किया गया और न ही देहरादून से रवानगी के वक्त किसी का मेडिकल परीक्षण कराया गया। बागेश्वर में इन्सीडेंट कमांडर की वजह से यात्रियों को तो कोरंटीन कराया जा सका। लेकिन इस सवाल का जवाब कौन देगा कि यह बस बगैर अनुमति से देहरादून से बाया कर्णप्रयाग बागेश्वर तक कैसे पहुंची और इसके पीछे कौन सियासी लोग हैं।

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