तस्वीर का सच

कुर्सी पर रहते तो जयराज का ही चला ‘राज’

अब रिटायरमेंट के बाद ‘तलवारें भांज’ रहे शासन के अफसर

पूर्व प्रमुख वन संरक्षक का मामला

देहरादून। कुर्सी पर रहते जिस अफसर ने अपना ही राज चलाया। अब उसके रिटायरमेंट के बाद अफसर उसी के फैसलों पर तलवार भांज रहे हैं। सवाल यह है कि आखिरकार किसकी शह पर इस अफसर ने वन महकमे को अपने अंदाज में चलाया। सवाल यह भी है कि अब उस अफसर के फैसलों को पटलकर अफसरशाही क्या संदेश देना चाहती है। अगर फैसले गलत थे तो क्या जयराज के खिलाफ कोई  एक्शन करेगी सरकार।

कुर्सी पर रहते अपने कार्यों की वजह से सुर्खियों में रहने वाले पूर्व प्रमुख वन संरक्षक जयराज 31 अक्टूबर को रिटायर होने के बाद भी सुर्खियों में ही बने हुए हैं। जयराज जब तक कुर्सी पर रहे अपने अंदाज में ही वन विभाग पर राज करते रहे। मंत्री की बैठक हो या फिर अफसरों की या फिर खुद सीएम की। अपनी पोशाक को लेकर उन्होंने कभी भी प्रोटोकॉल की परवाह नहीं की। मीटिंग्स में अपने अंदाज में जाना और अपनी मर्जी से ही निकल जाना चर्चा में रहता रहा। वन विभाग में उन्होंने तमाम ऐसे फैसले किए, जिनमें शासन या फिर वन मंत्री के अनुमोदन की जरूरत थी। लेकिन उन्होंने अपने अंदाज में फैसले किए और शासन से मंजूरी लेना जरूरी नहीं समझा।

अब जयराज रिटायर हो चुके हैं तो शासन को उऩके नियमविरुद्ध फैसले रद्द करने की याद आ रही है। जयराज से रिटायरमेंट से पहले सितंबर और अक्टूबर में अपने चहेतों को नई तैनाती दी। इसके साथ ही वन प्रभागों का सीमांकन भी उन्हीं की सहूलियत से कर दिया। जयराज दो महीने तक ये सब नियमों के खिलाफ करते रहे पर सरकार या शासन ने उनसे न तो कुछ पूछा और न ही आदेशों पर रोक लगाई। अब जयराज के कुर्सी के हटने के बाद अफसरों को पता चला कि तमाम फैसले गलत हुए हैं। विभागीय सचिव ने एक रोज पहले जयराज के दस्तखतों से हुए तबादले निरस्त किए और प्रभागों का सीमांकन बदलने का आदेश भी रद्द कर दिया।

सवाल यह है कि एक अफसर आखिरकार किसकी शह पर सरकार और शासन के आदेशों को धता बताकर अपना राज करता रहा। और अब क्या वजह है कि उसके आदेशों को निरस्त किया जा रहा है। सवाल यह भी है कि किसकी शह पर जयराज मनमानी करते रहे और अफसरशाही मौन साधे रही।

कुछ इस तरह बंदर को घुमाते थे जयराज

बंदर प्रेम भी रहा चर्चा में

जयराज ने अपने घर में नियमों के खिलाफ बंदर भी पाल रखे थे। इसका भी भारी विरोध हुआ पर वो अपने अंदाज में बंदर के साथ फोटो शेयर करते रहे। बंदर के उत्पात से पड़ोसी परेशान थे। तो कहा गया कि इसे जंगल में छोड़ा जाए। पर जयराज ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए झाझरा में एक खासा बाड़ा बनवा दिया।

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