एक्सक्लुसिव

खनन के बाद खड़िया से भी मिलेगा राजस्व

सोप स्टोन भंडारण के लिए अब सरकार की मंजूरी जरूरी

कोई रिकॉर्ड न होने पर खनन विभाग की निगाहें तिरछी

हल्द्वानी। कोरोना काल में कमाई के लिए परेशान सरकार की निगाहें अब खड़िया खनन पर भी हैं। अब प्रदेश के सोपस्टोन (खड़िया) के व्यापारियों, प्लांटधारकों और भंडारणकर्ताओं को भी खनिज विभाग से अनुमति लेनी अनिवार्य होगी। खड़िया खनन की प्रक्रिया में सरकार ई-रवन्ना, पिसाई, भंडारण लाइसेंस के जरिए राजस्व हासिल करने की तैयारी में है।
पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों से हर साल लगभग करीब साढ़े तीन से चार लाख टन सोप स्टोन का खनन होता है। इसे पिसाई के बाद देश के विभिन्न में भेजा जाता है। अब तक खनन विभाग के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं होता है न ही इसके लिए कोई रवन्ना जारी होता है। दूसरी ओर स्टोन क्रशर उद्योग में भंडारण और क्रशिंग के लिए अलग से अनुमति लेनी पड़ती है। मगर सोपस्टोन के मामले में शासनादेश के बावजूद सोपस्टोन भंडारण और पिसाई के प्लांट की अनुमति नहीं ली जा रही है। इसका नतीजा सरकार को भारी राजस्व के नुकसान के तौर पर भुगतना पड़ रहा है।

अब खनन विभाग इस पर सख्त हो गया है। अफसरों ने बताया कि सभी प्लांट धारकों और सोप स्टोन कारोबारियों को भंडारण नियमावली 2020 और स्टोन क्रशर नीति 2020 के तहत प्लांट और भंडार स्थलों की अनुमति हासिल करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। लेकिन अब तक कुछ प्लांट मालिकों को छोड़ कर अन्य ने ऐसा नहीं किया है। जल्द ही अनुमति नहीं लेने वाले प्लांट और भंडारणकर्ताओं पर अवैध खनन नियमावली के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। 

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