कोरोनाः धार्मिक यात्रा को 1300 करोड़ का ‘फटका’
कांवड़ यात्रा स्थगित होने से दो अरब का केवल हरिद्वार में कारोबार प्रभावित
पिछले साल 1200 करोड़ के करीब हुआ था धार्मिक पर्यटन का कारोबार
अब तक 1500 करोड़ तक के कारोबार नुकसान का किया गया आंकलन
नवीन पाण्डेय
देहरादून/हरिद्वार। वैश्विक महामारी ने उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन को जोरदार झटका दिया है। पिछले चारधाम यात्रा के धार्मिक पर्यटन का आंकलन करें तो करीब 1200 करोड़ का कारोबार हुआ था। जो इस बार 1500 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद थी। अकेले हरिद्वार में महज 15 दिन की कांवड़ यात्रा पर नजर डालें तो कांवड़ के दौरान करीब दो अरब से अधिक का कारोबार यहां होता है पर कोरोना के वार ने पूरे धार्मिक पर्यटन और पर्यटन दोनों पर सीधी मार की है।
मार्च माह में वैश्विक महामारी का रूप ले चुके कोरोना की वजह से देश में लॉकडाउन घोषित किया गया। कई चरणों में ये अब भी जारी है। अप्रैल माह से अमूमन चारधाम यात्रा की शुरूआत उत्तराखंड में होती है। हरिद्वार और ऋषिकेश यात्रा शुरू करने के प्रमुख पड़ाव हैं पर अबकी सबकुछ गुजरे जमाने की बात की तरह लगता है। जानकार बताते हैं कि चारधाम यात्रा को लेकर कारोबार की बात करें तो सूबे में पिछले सीजन में 1200 से अधिक का कारोबार हुआ पर अबकी सबकुछ पर कोरोना का करंट दौड़ गया है। होटल, धर्मशालाएं, आश्रम, गेस्ट हाउस सबकुछ उदास है। धार्मिक पर्यटन से जुड़े पर्यटन कारोबारियों को तगड़ा झटका लगा है। महामारी कमजोर नहीं पड़ इसलिए श्रावण मास की कांवड़ यात्रा को उत्तरप्रदेश, हरियाणा और उत्तरप्रदेश तीन राज्यों ने पहले ही चरण में इसे स्थगित कर दिया। सोमवती स्नान और महाशिवरात्रि का स्नान 19 और 20 जुलाई को था उस पर पूरी तरह से वैश्विक महामारी की वजह से पाबंदी लगा दी गई। जिससे अरबों का कारोबार एक झटके में धड़ाम हो गया।
नियंत्रित धार्मिक पर्यटन झटके को फिलहाल नहीं उबार सकता
हालांकि सरकार की ओर से स्थानीय लोगों को सीमित संख्या में दर्शन करने की अनुमति दी गई है, लेकिन ये नाकाफी है। अब आनलाइन पास की बुकिंग करके दर्शन के लिए कुछ श्रद्धालु जा रहे पर सीमिति तादाद में, जो अर्थव्यवस्था को धार नहीं दे सकते।
यूपी से आने वालों को भी मिलता रहा है रोजगार
कांवड़ यात्रा स्थगित होने से उत्तर प्रदेश को ज्यादा चोट पहुंची है। कांवड़ और कांवड़ बाजार में स्थानीय के अलावा यूपी के मेरठ, बिजनौर, सहारनपुर, शामली, मुज्जफरनगर सहित अन्य जनपदों के लोग कांवड़ बाजार में दुकान लेकर कांवड़ आदि की बिक्री करते थे। जिससे दूसरे प्रांतों के अलावा धर्मनगरी के व्यापारियों का भी अच्छा कारोबार होता था लेकिन अबकी सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गई।
अर्थव्यवस्था में पर्यटन का सबसे बड़ा योगदान
भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के नेशनल सेक्रेटरी कैलाश केशवानी का कहना है कि निश्चित तौर पर वैश्विक महामारी ने कारोबार पर चोट किया है। उत्तराखंड में पर्यटन अर्थ का बड़ा केन्द्र है। चारधाम यात्रा राज्य के लिए हमेशा से ही एक बड़ी अर्थव्यवस्था का आधार रही है, पर वर्तमान हालात में लगभग सबकुछ सुना है। कांवड़ स्थगित हो गया। अकेले हरिद्वार में दो अरब से अधिक का कारोबार होता है। तकरीबन तेरह से पन्द्रह हजार करोड़ तक का कारोबार चारधाम यात्रा के दौरान होने का अबकी अनुमान था। पिछले साल यात्रा की समयावधि में 1200 करोड़ तक का कारोबार हुआ था। सरकार इस वैश्विक महामारी के बीच से पर्यटन को लेकर रास्ता खोजे।