शिवालिक के जंगल में मिला अति दुर्लभ अलबीनो
सालों पहले जिम कार्बेट और सात महीने पहले नागपुर में भी हुआ ट्रेप
नवीन पाण्डेय
देहरादून/सहारनपुर। सबसे दुर्लभ अलबीनो वन्य जीव सहारनपुर के शिवालिक एलीफेंट रिजर्व में मिला है। इसे लाखों में एक अलबीनो सांभर के रूप में पहचाना गया है। यह अलबीनो सांभर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के कैमरे में कैद हुआ है। यूपी के चौथे टाइगर रिजर्व के लिए शासन को भेजे गए प्रस्ताव में इसका जिक्र भी किया गया है। वन विभाग उत्साहित है। इससे पहले शिवालिक की सीमा से लगते उत्तराखंड के कार्बेट टाइगर रिजर्व में 15 साल पहले एक चीतल और सांभर मिल चुके हैं। नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान के नागपुर क्षे़त्र में करीब सात महीने पहले अलबीनो सांभर मिला है। शिवालिक के वन क्षेत्र में मिला अलबीनो सबसे ताजी रिपोर्ट है।
उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व से सहारनपुर वन वृत्त के शिवालिक वन क्षे़त्र के शिवालिक ऐलीफेंट रिजर्व में तेंदुआ, हाथी सहित अन्य वन्य जीवों का आवागमन होता रहता है। उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड की सीमा से जंगल जुड़े होने के कारण वन्य जीव अपना ठिकाना कभी राजाजी तो कभी शिवालिक के जंगलों में बनाते रहते हैं। टाइगर रिजर्व बनाने को लेकर शिवालिक वन प्रभाग का जब प्रयास शुरू हुआ तो सैकड़ों कैमरे डबल्यूडबल्यूएफ की ओर से लगाकर मॉनिटरिंग की गई। इसमें कई उत्साहित करने वाले प्रमाण मिले। अभी हाल ही में पचास लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म भी मिला। इन सबको डाक्यूमेंट में प्रमाण के साथ तस्दीक करके उत्तरप्रदेश के चौथे टाइगर रिजर्व के प्रस्ताव के रूप में सहारनपुर वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक वीके जैन की ओर से प्रमुख वन संरक्षक लखनऊ को भेजा गया। सहारनपुर कमिश्नर संजय कुमार ने प्रमुख सचिव वन को भी इसका प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर भेजा। इसी दौरान लगे कैमरे में अलबीनो सांभर की मौजूदगी भी मालूम चली है। डब्ल्यूआईआई के कैमरे में शिवालिक के संसारा बीट के शाकुंभरी रेंज में यह अलबीनो दुर्लभ सांभर मिला है। जो लाखों वन्य जीवों में से एक में होता है। इसे दुर्लभ से अति दुर्लभ की श्रेणी में वन्य विशेषज्ञ रखते हैं।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की ओर से करीब तीन सौ से अधिक कैमरा लगाकर वन्य जीवों की शिवालिक के जंगलों में वन्य जीवों की आवाजाही और मौजूदगी का जब प्रमाण एकत्रित किया जा रहा था, तभी कैमरे में सफेद रंग का वन्य जीव दिखा। जिसकी पहचान अलबीनो सांभर के रूप में वन विशेषज्ञों ने की। यह पहला मौका होगा जब अलबीनो के रूप में कोई वन्य जीव इस क्षेत्र में कैद किया गया। चूंकि टाइगर रिजर्व को लेकर प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है और यह दुर्लभ घटना है तो इसे भी उस प्रस्ताव में शामिल किया गया है। वीके जैन, मुख्य वन संरक्षक, सहारनपुर वन वृत्त
कार्बेट में 15 साल पहले एक चीतल और करीब दस साल पहले एक सांभर अलीबनो के रूप में मिले हैं। अलबीनों सांभर कार्बेट के यमुना के गौण बीट जबकि चीतल सोना नदी के क्षेत्र में मिला था। अलबीनो मगरमच्छ में बहुत पाए जाते हैं। रेपटाइल में इनकी संख्या अमूमन अधिक मिलती है। कुत्ता और बिल्ली की प्रजातियों में भी इनकी मौजूदगी मिली है। अलबीनो वन्य जीवों की आंखें कमजोर होती हैं। इसलिए यह बाघ, तेंदुआ सहित अन्य का जल्दी शिकार हो जाते हैं। अलबीनो वन्य जीव पूरा सफेद या काला हो सकते है। अलग रंग की वजह से ये वन्य जीवों का जल्द शिकार बन जाते हैं। लाखों में यह वन्य जीव मिलते हैं। यह एक तरह से पिंगमेंटेशन होने से सफेद या काले हो जाते हैं। सामान्य तौर पर आंखें लालिमा और नथुने लाल होते हैं। ऐसे वन्य जीव किसी जंगल में मिलना निश्चित ही दुर्लभ सुखद घटना है। नरेंद्र सिंह, वन्य जीव विशेषज्ञ और पूर्व डीएफओ