न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर दोनों धड़ों में घमासान मचा है। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना कि सूची में हेरफेर किया गया है। अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय में किसने इस सूची में हेरफेर की और इसके पीछे उसका मकसद क्या है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह डेढ़ साल बाद अपनी टीम बना सके हैं। अब इस टीम को लेकर हऱीश रावत खेमा खासा बवाल कर रहा है। इस खेमे का कहना है कि इस सूची के माध्यम से हरीश रावत का इस प्रदेश सियासी वजूद खत्म करने की कोशिश की गई है। हरीश रावत के समर्थक नेताओं को इसमें जगह नहीं दी गई है। इतना ही नहीं कांग्रेस ने अनुशासनहीनता के आऱोप में निकाले गए लोगों को खास तरजीह देकर यह जताने की कोशिश की गई है कि प्रीतम और इंदिरा की जोड़ी ही सबकुछ तय करेगी। यह मामला नेता प्रतिपक्ष इंदिरा के इस्तीफे की मांग तक पहुंच गया है।
अब प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह यह कहकर अपना दामन बचाने की कोशिश कर रहे हैं कि सूची में दिल्ली से ही फेरबदल किया गया है। बकौल प्रीतम उन्होंने प्रदेश प्रभारी के माध्यम से जो सूची हाईकमान को भेजी थी, उसमें विधायक हरीश धामी का नाम विशेष आमंत्रित सदस्यों की लिस्ट में था। लेकिन जब केंद्रीय महामंत्री (संगठन) के हस्ताक्षरों से सूची जारी हुई तो धामी का नाम सचिवों की सूची में निकला। अब वे महामंत्री से मिलकर यह जानने की कोशिश करेंगे कि किसी ने इस सूची में यह हेराफेरी जानबूझ कर की है या फिर गलती से ऐसा हुआ है।
अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि हाईकमान के स्तर पर कौन इस सूची में हेराफेरी करेगा और इसके पीछे उसका क्या मकसद रहा है। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि अगर सूची में दिल्ली से ही हेराफेरी हुई है तो इस गंभीर मसले पर हाईकमान क्यों मौन साधे प्रदेश कांग्रेस में हो रहे तमाशे को शह दे रहा है। हेरफेर करने वालों की पहचान में इतनी देरी क्यों हो रही है। प्रदेश अध्यक्ष या प्रदेश प्रभारी इस हेरफेर को लेकर क्यों संजीदा नहीं है। देखने वाली बात यह होगी कि क्या इस हेराफेरी का सच सूबे के आम कांग्रेसियों के सामने आएगा या फिर ये विवाद और तेजी पकड़ेगा।