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50 सालों से लटकी जमरानी बांध परियोजना पर काम तेज, पीएम मोदी-सीएम धामी के विजन पर आगे बढ़ा प्रोजेक्ट

उत्तराखंड।

50 सालों से लटकी जमरानी बांध परियोजना पर काम तेज
पीएम मोदी सीएम धामी के विजन पर आगे बढ़ा प्रोजेक्ट

नैनीताल।

तराई भावर को पेयजल प्रदान करने के उद्देश्य से गौला नदी पर बनाई गई जमरानी बांध परियोजना पर काम 45 साल के लंबे अंतराल के बाद पुनः गति पकड़ गया है।

पीएम मोदी की घोषणा में शामिल कराने के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस पर लगातार काम किया ,इसमें सांसद अजय भट्ट ने भी केंद्रीय स्तर पर पैरवी की।

उल्लेखनीय है कि आज से 35 वर्ष पूर्व,भारतीय जनता पार्टी ने जमरानी बांध की मांग को लेकर जमरानी बांध संघर्ष समिति का गठन किया गया, जिसमें वर्तमान कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत ने अध्यक्ष के रूप में इस जनआंदोलन को गति दी। किसान नेता रहे नवीन दुमका, जोकि बाद में लालकुआं से विधायक भी रहे, पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ गांव गांव घूमे और जमरानी बांध की मांग को घर घर की जरूरत से जोड़ा। भावर क्षेत्र पीने के पानी की कमी से सालों से जूझता रहा है।

भारतीय जनता पार्टी का उद्देश्य स्पष्ट था — भाबर क्षेत्र के भविष्य को जल संकट से बचाना और जनता की उम्मीदों को साकार करना। इस आंदोलन को जनसमर्थन और अपार सहयोग प्राप्त हुआ।

बांध निर्माण की मांग को लेकर संघर्ष समिति ने एक सप्ताह तक धरना दिया और हल्द्वानी बाजार में ऐतिहासिक जुलूस निकाला। पूरे भाबर क्षेत्र से किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियाँ सहित इसमें शामिल हुईं, यह दृश्य उस जनसमर्थन और आंदोलन की शक्ति का प्रतीक था, जिसने हर चुनौती को पार किया।

जमरानी बांध न केवल जल संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि भाबर क्षेत्र के समृद्धि और जीवन की गारंटी भी था। यदि यह परियोजना सफल न होती, तो इस क्षेत्र में भारी जल संकट और वीरानी निश्चित थी।

जानकारी दे दें कि 1975 में जमरानी बांध का सपना तत्कालीन केंद्रीय जल ऊर्जा मंत्री कृष्ण चंद्र पंत जोकि नैनीताल से सांसद थे, के द्वारा देखा गया। उन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से इसे मंजूर कराते हुए 1976 में इसका शिलान्यास किया।

ये बात उस समय के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी को नागवार गुजरी और जमरानी बांध परियोजना इन दोनों नेताओं की राजनीति के बीच पीस कर रह गई।
तिवारी लंबे समय तक गौला नदी को बांधने के विरोधी रहे।

वे तर्क देते थे कि तराई में जितने भी बांध जलाशय है वे बरसाती नदियों पर बने है।जबकि गौला बारह मासी नदी है।
कांग्रेस सरकारों में पंत तिवारी के मनमुटाव के कारण उस समय परियोजना प्रारंभ नहीं हो सकी।

भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार के नेतृत्व में,सीएम पुष्कर सिंह धामी के अथक प्रयास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग से यह बहुप्रतीक्षित परियोजना धरातल पर उतर रही है।

9 नवंबर 2025 को पीएम मोदी ने इसका एक बार पुनः शिलान्यास किया है,इससे पूर्व वे हल्द्वानी में इसके निर्माण का वायदा जनता से कर गए थे अब विधिवत योजना शुभारंभ के बाद निर्माण कार्य तेज़ी से जारी है। यह न केवल राज्य बल्कि पूरे केंद्र सरकार के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है।करीब
3808 करोड़ की लागत वाली इस जमरानी बांध परियोजना को 2028 में पूरा किए जाने लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में गौला नदी के जल प्रवाह का रुख मोड़ने के लिए सुरंगे बनाई जाने लगी है।

परियोजना के प्रबंधक, उमेश अग्रवाल, ने बताया कि परियोजना में 60 इंजिनियर और 150 वर्कर कार्यरत हैं और आने वाले वर्षों में कार्य पूर्ण हो जाएगा। यह पूरे भाबर क्षेत्र केसाथ साथ यूपी के बरेली जिले को भी इसके पानी का लाभ आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
जमरानी बांध परियोजना ,पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणा में जब शामिल हुई तब हमें लगने लगा था कि वो दिन अब दूर नहीं जब हमारा 50 सालों का इंतजार खत्म होगा।

परियोजना पर काम युद्ध गति से शुरू हो गया है।इसके पूरा हो जाने से भावर तराई और बरेली जिले की पेयजल समस्या का स्थाई समाधान होगा। यहां जो विशाल झील बनेगी उससे क्षेत्र में पर्यटन का विकास होगा।हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

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