बिजली के दामों में कमी सिर्फ जनता की आंखों में धूल झोंकने जैसा- मोर्चा
बिजली के दामों में कमी सिर्फ जनता की आंखों में धूल झोंकने जैसा- मोर्चा
हिमाच्छादित क्षेत्रों के लिए राहत, लेकिन अन्य को झुनझुना क्यों !
हिमाच्छादित क्षेत्रों में आबादी है कहां !
1 किलोवाट के कनेक्शन सरकार ने छोड़े ही कहां हैं !
विकासनगर- जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि सरकार द्वारा कल हिमाच्छादित क्षेत्र के विद्युत उपभोक्ताओं के बिलों (विद्युत टैरिफ) में कुछ कमी करने का फरमान जारी किया है, जिसकी सरसरी तौर पर सराहना की जा सकती है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में 1 किलोवाट तक के विद्युत संयोजनों में भी प्रतिमाह 100 यूनिट तक 50 फ़ीसदी विद्युत टैरिफ माफ करने का काम किया है, जिसको अधिकारियों की वजह से सिर्फ लालागिरी ही कहा जा सकता है| नेगी ने कहा कि अन्य क्षेत्रों में सरकार द्वारा जिस प्रकार से 1 किलोवाट तक के विद्युत संयोजनों के बिलों में रियायत की बात कही गई है ,उसमें हैरान करने वाली बात यह है कि सरकार ने 1 किलोवाट के विद्युत कनेक्शन छोड़ें ही कहां हैं ! अधिकांश कनेक्शनों को पूर्व में ही 1 किलोवाट से बढ़ाकर 3 किलोवाट कर दिया गया था, जिससे फ़िक्स्ड चार्जेस के नाम पर जनता को लूटा जा सके।
इस दायरे में नाम मात्र के विद्युत संयोजक की लाभान्वित होंगे। अत्याधिक हैरान करने वाली बात यह है कि हिमाच्छादित क्षेत्रों में बिजली की खपत है ही कहां ! वहां आबादी भी कहां है ! अधिकांश गरीब उपभोक्ताओं का विद्युत मूल्य 200- 300 रुपए रुपए होता है और फ़िक्स्ड चार्जेस 3 किलो वाट की वजह से 510 रुपए हो रहा है, जिसको बर्दाश्त किया जाना उपभोक्ता के वश में नहीं है।
नेगी ने कहा कि प्रतिवर्ष लगभग 15 फ़ीसदी लाइन लॉस में बिजली जाया हो रही है, जिसकी कीमत लगभग 1000-1500 करोड है , लेकिन इस लाइन लॉस को कम करने की दिशा में सरकार क्यों ठोस कदम उठाने में हिचक रही है ! इस खेल के चलते जनता त्राहि- त्राहि कर रही है। सरकार द्वारा प्रतिमाह यूनिट स्लैब/प्रति किलोवाट फिक्स्ड चार्जेस निर्धारित किया गया है, जिसके नाम पर उपभोक्ताओं को लूटने का काम किया जा रहा है।
नेगी ने कहा कि सरकार की नाकामी उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रही है। नेगी ने कहा कि 100 यूनिट तक रुपए 3.40 प्रति यूनिट, 200 यूनिट तक 4.90 एवं 200 से 400 यूनिट तक 6.70 तथा इसके ऊपर 7.35 प्रति यूनिट निर्धारित की गई है तथा इसी प्रकार फिक्स्ड चार्जेस 75 रुपए, 85 ₹एवं 100 रुपए प्रति किलोवाट/प्रतिमाह निर्धारित किए गए हैं तथा इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी भी उपभोक्ताओं का कष्ट बढ़ा रही है। सरकार को चाहिए था कि फिक्स्ड चार्जेस न्यूनतम करने एवं 100 यूनिट के स्लैब के स्थान पर 150- 200 यूनिट का स्लैब निर्धारित करती।
मोर्चा सरकार से मांग करता है कि विद्युत स्लैब 100 यूनिट के स्थान पर 150- 200 करने व फिक्स्ड चार्जेस कम करने की दिशा में काम करे, जिससे जनता को राहत मिल सके। पत्रकार वार्ता में -हाजी असद, प्रवीण शर्मा पिन्नी व सुशील भारद्वाज मौजूद थे।