केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव : ‘प्रतिष्ठा’ की सीट पर दावेदारों में ‘घमासान’
केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव : ‘प्रतिष्ठा’ की सीट पर दावेदारों में ‘घमासान’
नया चेहरा ही लगा सकता है भाजपा की ‘नैय्या पार’
देहरादून। लगातार दो विधानसभा उपचुनाव हार चुकी धामी सरकार के लिए केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में करो या मरो जैसी स्थिति है। इस चुनाव को हर हाल में जीतने के लिए आतुर सरकार ने पांच मंत्रियों समेत तमाम वरिष्ठ नेताओं और रणनीतिकारों को केदारघाटी में उतार दिया है, लेकिन इसके बावजूद सत्ताधारी दल का संकट कम होने के बजाय लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसकी वजह यह है कि चुनाव लड़ने के लिए एक नहीं बल्कि आधा दर्जन से ज्यादा उम्मीदवारों ने न केवल दावा ठोक दिया है, बल्कि टिकट न मिलने की स्थिति में बगावत करने के भी साफ संकेत दे दिए हैं। ऐसे में भाजपा नेतृत्व जिताऊ प्रत्याशी के चयन को लेकर गंभीर पसोपेश में आ गया है। नेतृत्व के सामने सबसे बड़ा संकट टिकट हासिल न कर पाने वाले दावेदारों की बगावत का है क्योंकि यह बगावत भाजपा को पहले भी भारी पड़ चुकी है। साल 2017 में भाजपा ने तब कांग्रेस से आई शैलारानी रावत को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन पूर्व विधायक और वर्तमान में पार्टी की महिला इकाई की प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल ने बगावत कर निर्दलीय मैदान में ताल ठोक दी थी।
इसके परिणामस्वरूप भाजपा न केवल चुनाव हार गई थी बल्कि चौथे स्थान पर सिमट गई थी। उस चुनाव में कांग्रेस के विजयी प्रत्याशी मनोज रावत को 13906 वोट मिले थे जबकि निर्दलीय कुलदीप सिंह रावत 13037 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। निर्दलीय प्रत्याशी आशा नौटियाल 11786 वोट पाकर तीसरे और भाजपा प्रत्याशी शैलारानी रावत 11472 वोट पाकर चौथे स्थान पर रही थीं। लेकिन इसके पांच साल बाद 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा बागी आशा नौटियाल को मनाने में कामयाब रही जिसके बाद उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। इसका सीधा फायदा भाजपा को पहुंचा और पार्टी प्रत्याशी शैलारानी रावत दस हजास से अधिक मतों के भारी अंतर से चुनाव जीतने में सफल रहीं। 2022 में शैलारानी रावत को 21886 वोट मिले थे, जबकि दूसरे स्थान पर रहे निर्दलीय कुलदीप रावत को 13423 वोट मिले थे। कांग्रेस इस चुनाव में तीस्ररे स्थान पर खिसक गई थी। पार्टी प्रत्याशी मनोज रावत को मात्र 12557 वोट मिले थे।
अब इन्हीं शैलारानी रावत के निधन के कारण रिक्त हुई केदारनाथ सीट पर उपचुनाव होना है। इस बार आशा नौटियाल के साथ ही दिवंगत शैलारानी नौटियाल की पुत्री एश्वर्या रावत और पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे कुलदीप रावत, तीनों ही भाजपा से अपना दावा ठोक रहे हैं। तीनों ही दावेदार साफ संकेत दे चुके हैं कि उन्हें टिकट न मिलने की स्थिति में वे बगावत कर सकते हैं। ऐसे में भाजपा हाई कमान इन तीनों के अलावा किसी ऐसे चौथे नाम पर भी मंथन कर रहा है जिसे प्रत्याशी बनाने से इन तीनों की बगावत का खतरा टल जाए और पार्टी उपचुनाव में हार की हैट्रिक रोकने में कामयाब हो सके।
इस लिहाज से पार्टी नेतृत्व केदारनाथ पुनर्निर्माण में बड़ा योगदान दे चुके और केदारघाटी में चर्चित चेहरे के रूप में जाने जाने वाले कर्नल अजय कोठियाल के नाम पर भी विचार कर रही है। कर्नल अजय कोठियाल के पक्ष में सबसे सकारात्मक बात यह है कि केदारनाथ पुनर्मनिमाण में उनकी भूमिका के चलते पूरी विधानसभा में उनकी अच्छी छवि है। साथ ही वे दलगत गुटबाजी से भी दूर हैं।
उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने की स्थिति में कांग्रेस द्वारा भाजपा पर लगाया जा रहा केदारनाथ के महत्व को कम करने का आरोप भी मंद पड़ सकता है क्योंकि कर्नल कोठियाल की पहचान ही केदारनाथ को संवारने वाले व्यक्ति की है। कर्नल कोठियाल की सक्रियता की बात करें तो इन दिने वे न केवल खुद बल्कि अपनी टीम के साथ केदार घाटी के भ्रमण पर हैं और लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। उन्हें जनता की तरफ से सकारात्मक फीडबैक भी मिल रहा है। बहरहाल अंतिम निर्णय भाजपा हाईकमान को लेना है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि भाजपा केदारनाथ में चुनाव से पहले शुरू हुई इस आपसी लड़ाई से कैसे निपटती है।