एम्स में एएफपीआई का राज्यपाल ने किया शुभारंभ
एम्स में एएफपीआई का राज्यपाल ने किया शुभारंभ
ऋषिकेश। छठी नेशनल कांफ्रेंस ऑफ फेमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर का रविवार को बतौर मुख्य अतिथि सूबे के राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह ने विधिवत शुभारंभ किया। “प्राइमरी केयर फिजिशियन आर द फाउंडेशन ऑफ़ पब्लिक हेल्थ सिस्टम” थीम पर आयोजित कांफ्रेंस में देश-दुनिया के आठ सौ से अधिक डेलीगेट्स व 100 से अधिक चिकित्सा विशेषज्ञों, फैकल्टी सदस्यों ने व्याख्यान दिए और देश में पारिवारिक चिकित्सा को सुदृढ़ बनाने पर मंथन किया।
संस्थान की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित फेमिली मेडिसिन और प्राइमरी केयर कांफ्रेंस के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उत्तराखंड के राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह ने पारिवारिक चिकित्सा को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एम्स,ऋषिकेश द्वारा किए जा रहे कार्यों के बाबत जानकारी दी व इस पहल की मुक्त कंठ से सराहना की। उन्होंने कहा कि एम्स फेमिली मेडिसिन आउटरीच सेल के तहत अब तक सुदूरवर्ती क्षेत्रों में चिकित्सा से वंचित लोगों के स्वास्थ्य के मद्देनजर सततरूप से कार्य किया जा रहा है। एम्स ने इस विषय को बढ़ावा देने के लिए 18 गांवों को गोद लिया है और कई मलीन बस्तियों में गरीब लोगों की निशुल्क चिकित्सा सेवा के लिए नियमिततौर पर क्लिनिक संचालित किए जा रहे हैं।
इस दौरान राज्यपाल ने देश में संचालित जन औषधि केंद्रों की सराहना की और इसे गरीबों के साथ साथ सभी के लिए लाभप्रद बताया, साथ ही चिकित्सकों से आह्वान किया कि वह जेनरिक दवाओं के प्रति आमजन को जागरुक करें जिससे उन्हें सस्ती दर पर दवाएं सुलभ हो सकें।
इस दौरान उन्होंने सम्मेलन में निर्धारित कार्यक्रमों पर आधारित सोविनियर की ई- लॉंचिंग की व एम्स के कम्यूनिटी आउरीच सेल की उपलब्धियों पर आधारित पुस्तक ट्रांसफॉर्मिंग लाइफ्स कम्युनिटी आउटरीच प्रोग्राम का विधिवत विमोचन किया ।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि ने कहा कि फेमिली डॉक्टर व पारिवारिक चिकित्सा ही नहीं बल्कि स्वयं में परिवार की एक चिकित्सा है, लिहाजा भारतीय संस्कृति व परंपराओं को बरकरार रखने व उनमें श्रीवृद्धि के लिए गहन चिंतन की नितांत आवश्यकता है।
एएफपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर रमन कुमार ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य पूरे भारत में फेमिली डॉक्टर व पारिवारिक चिकित्सा पारंपरिक प्रणाली को पुनर्स्थापित करना है। बताया कि सुपर स्पेशलिटी के फेर में फेमिली चिकित्सक का कांसेप्ट काफी पीछे रह गया है, लिहाजा पारिवारिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए देश में इस पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित करने की जरुरत है।
उन्होंने बताया कि नीति आयोग द्वारा इस विषय की गंभीरता को समझते हुए फेमिली मेडिसिन एवं पारिवारिक चिकित्सक कांसेप्ट को भारत सरकार सरकार के कार्यक्रमों में प्राथमिकता से शामिल किया जा रहा है।
प्रो. रमन कुमार ने बताया कि नेशल मेडिकल कमिशन के 2019 के कानून में भी पारिवारिक चिकित्सा व फेमिली फिजिशियन कांसेप्ट पर जोर दिया गया है। साथ ही इस विषय पर पूरे देश में फेमिली चिकित्सकों को प्रशिक्षित करने की बात कही गई है।
कांफ्रेंस के आयोजन सचिव डॉ. संतोष कुमार ने सम्मेलन में देश दुनिया से प्रतिभाग करने वाले चिकित्सा विशेषज्ञों व अन्य डेलिगेट्स का आभार ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि पुस्तक के इतर भी काफी कुछ ज्ञान का भंडार है,जिसे आत्मसात करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को हमेशा तैयार रहना चाहिए।
डॉ. रश्मि मल्होत्रा के संचालन में आयोजित कांफ्रेंस में डीन एकेडमिक प्रोफेसर (डॉ.) जया चतुर्वेदी, डॉ. मनु मल्होत्रा, डॉ. महेंद्र सिंह,प्रो. विकास भाटिया, डॉ. अशोक भारद्वाज आदि मौजूद थे।