राजनीति

मिशन-2022 को हरदा मांगे ‘मोर फ्री हैंड’

कांग्रेस की संगठनात्मक दुर्बलता को बताया घातक

गर खुटुर-खुटुर खेलूंगा तो जीत हो जाएगी मुश्किल

स्वभाविक खेल सका तो दूसरा दल होगा डिफेंसिव

देहरादून। दो जिलों में परिवर्तन यात्रा के बाद कांग्रेसी दिग्गज हरीश रावत ने अपने अनुभव साझा किए हैं। हरदा को साफ दिख रहा है कि कांग्रेस में संगठनात्मक दुर्बलता बरकरार है। वे चाहते हैं कि उन्हें और फ्री हैंड देकर खेलने दिया जाए। अगर वे खुटुर-खुटुर खेलेंगे तो मिशन-2022 में दिक्कत होगी।

हरदा ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि ‘आज कार्यकर्ताओं को यह लगता है कि वो सरकार बना सकते हैं। इसलिए हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा दिखाई दे रही है। नये-पुराने लोग आगे आये हैं। यदि इन सब को देवेंद्र यादव और गणेश गोदियाल संभालकर के रख सकें तो कांग्रेस के लिए भविष्य की बहुत बड़ी एक जमात हर विधानसभा क्षेत्र में खड़ी हो जाएगी। अंतर्विरोध होंगे और परेशान भी करेंगे, मगर पार्टी सफल दिखाई देगी’

‘मैंने सल्ट के उपचुनाव की हार का जब विश्लेषण किया तो उसमें धन शक्ति, प्रबंधन क्षमता भाजपा की ये तो सब बातें थी, भितरघात भी था, लेकिन एक फैक्ट्रर यह भी था कि हमारे कार्यकर्ताओं में जोश था। मगर संगठनात्मक दुर्बलता पार्टी के ऊपर हावी थी। जिस कारण हम जन भावना पैदा करने के बाद भी उसको वोटों में ट्रांसलेट नहीं कर पाए थे। ऐसा नहीं है कि प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व में परिवर्तन आने के बाद हमने उस कमजोरी पर पार पा लिया है। उस दिशा में कोई सार्थक काम अभी नहीं हुआ है बल्कि हम पहले से ज्यादा अंतर्विरोधों से घिरे हुए हैं। इस यात्रा में अंतर्विरोध दृष्टिब्य थे, मगर जनभावना व जनता और सामान्य कार्यकर्ता के उत्साह को देखकर वो अंतर्विरोध दब जा रहे थे। अब इस यात्रा से जो ताकत आई है, उसे हम कैसे संगठनात्मक स्वरूप दे सकते हैं, यह मेरी चिंता का विषय है’।

हरदा लिखते हैं कि ‘प्रदेश कांग्रेस में नए अध्यक्ष आए हैं और आते ही उन पर जिम्मेदारियों का पहाड़ चढ़ने का संयोग बना हुआ है। और वो इसमें सफल होते हैं तो अगले 20-25 सालों के लिए उत्तराखंड कांग्रेस को एक और स्थापित नेता मिल जाएगा। संभावनाएं प्रबल हैं, व्यक्तित्व में आवश्यक गुण भी विद्यमान हैं, मेहनत करने की क्षमता भी है, मगर समय की कमी को देखते हुये समन्वय आवश्यक है। पार्टी का पूरा ढांचा अध्यक्ष के साथ चलेगा, यह एक यक्ष प्रश्न है और इस यक्ष प्रश्न का उत्तर खोजे बिना परिवर्तन यात्रा की सफलता को राजनैतिक सफलता में बदलना बहुत असंभव नहीं तो दुरूह कार्य जरूर है’।

वो लिखते हैं कि ‘मैं अभियान समिति का अध्यक्ष हूं। चुनाव की सारी प्रक्रिया की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है। लेकिन मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि मैं समझते हुये भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने की स्थिति में हूं नहीं। यदि मैं प्रयास करूंगा तो कई तरीके के विरोधाभास उभरकर के सामने आ जाएंगे।  मैं ये कुछ सकारात्मक बिंदुओं के साथ, प्लस प्वाइंट्स के साथ पार्टी के लिए बड़ी ऐसैट्स हो सकता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि मेरे कुछ दोस्त मुझे बंधनयुक्त रखना चाहते हैं। पिच जटिल है यदि मैं बहुत संभल करके खेलूंगा, बड़ी खुटूर-खुटूर तरीके से खेलूंगा तो हमारे प्रतिद्वंद्वियों के पास जो सकारात्मक चीजें हैं, उनके चलते पार्टी की स्पष्ट जीत कठिन हो जाएगी और यदि मैं अपने ढंग से खेलता हूं जो मेरा स्वाभाविक खेल है, तो मैं हालात को बदल सकता हूं और पूरी तरीके से अपने प्रतिद्वंद्वियों को डिफेंसिव बना सकता हूं। मगर हमारी जैसी बड़ी पार्टी में इतनी स्वतंत्रता किसी को दी जाएगी इस पर मेरे मन में स्वयं संदेह है’।

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