शहीद भगत सिंह चौक पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का मौन व्रत — एलिवेटेड रोड से प्रभावितों के हक में उठाई आवाज

प्रकाशनार्थ
“पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रखा मौन”
कुमाऊं मंडल की अपनी यात्रा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रामनगर के शहीद भगत सिंह चौक पर आधे घंटे का मौन रखा । मौन के उपरांत उन्होंने कहा कि रिस्पना, विंदाल में एलिवेटेड रोड बनाए जाने का समाचार आ रहा है,इसका स्वागत है परन्तु इसकी ज़द में बसे हुए लोग चिंतित और व्यथित हैं। इन लोगों से कहना चाहता हूं कि हमारी सरकार में मलिन बस्तियों का सर्वेक्षण कराया गया और उसके उपरांत हमारे कार्यकाल में 2016 में जो कानून पास हुआ, मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को मालिकाना हक देने का ,उस कानून के प्रभाव में आने तक जो भी लोग उपत्यकाओं में बसे हुए हैं वह उत्तराखंड के कानून से संरक्षित हैं, उनका बिना मुआवजा दिए या उचित स्थान पर पुनर्वासित किये, उनको हटाया नहीं जा सकता। इन बस्तियों के नेतागण हाईकोर्ट से प्रोटेक्शन हासिल कर सकते हैं। हल्द्वानी के बनभूलपुरा और ढोलक बस्ती में रहने वाले लोगों को यह प्रोटेक्शन मिला है और इसी कानून के तहत, विधानसभा द्वारा पारित कानून के तहत ही मिला है तो चिंता करने की जरूरत नहीं है। रावत ने कहा कि सरकार ने एलिवेटेड रोड की घोषणा तो कर दी परंतु बड़ी संख्या में जो लोग इस योजना से बेघर होंगे उनके लिए पुनर्वास की कोई योजना अभी तक सामने नहीं रखी है। रावत ने कहा कि मेरा यह मौन राज्य सरकार को सजग करने की दिशा में कदम है।
रावत ने यह भी कहा कि उनके कार्यकाल में वर्ग 4 से लेकर वर्ग 10 (ख) तक की जमीनों के पट्टेधारकों को हमारी सरकार में मामूली मुआवजा लेकर जमीन का मालिकाना हक दिया गया था।
सत्तर से अस्सी हज़ार लोग उससे लाभान्वित भी हुए परंतु एक से डेढ़ लाख लोग उस समय छूट गए शायद उन तक सरकार की यह योजना नहीं पहुंच पाई होगी ।अब सुनने में आ रहा है कि ऐसे लोगों को नोटिस दिए जा रहे है जो कि सरासर नाइंसाफी है।
इस पर राज्य सरकार को तुरंत फैसला लेना होगा वरना आंदोलन झेलना पड़ेगा। रावत ने कहा कि उन्होंने शहीद भगत सिंह का चौराहा इस मौन व्रत के लिए इसलिए चुना क्योंकि भगत सिंह हमेशा गरीबों शोषितों और वंचितों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए जाने जाते हैं।