पेपर लीक प्रकरण की हाईकोर्ट निगरानी में सीबीआई जांच की मांग, भाजपा सरकार पर बरसे नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य

पेपर लीक की हाईकोर्ट निगरानी में हो सीबीआई जांचः यशपाल आर्य
मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश में भाजपा सरकार
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हल्द्वानी। उत्तराखंड में स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में पेपर लीक प्रकरण को लेकर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा र कि लाखों युवा सरकारी नौकरी के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं, लेकिन नकल माफियाओं के आगे सरकार पूरी तरह बेबस नजर आ रही है। कहा कि प्रकरण की सीबीआई जांच हाईकोर्ट के सिटिंग , जज की निगरानी में कराई जाए।
आर्य ने कहा कि उत्तराखंड । अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा न आयोजित परीक्षा में पेपर लीक त सामने आने के बाद भी सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार न इस संवेदनशील मामले को से सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि पेपर लीक वातंत्र को नकल जिहाद जैसे शब्दों र से जोड़ना भाजपा की दोहरे चरित्र । को उजागर करता है।
नेता प्रतिपक्ष य ने परीक्षा केंद्र की कमजोर व्यवस्थाओं पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हरिद्वार के आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज में आयोजित परीक्षा में 18 कमरे थे, लेकिन जैमर सिर्फ 15 कमरों में लगे थे। आरोपी कमरा नंबर 9 में बैठा था, जहां जैमर नहीं लगा था।
यह संयोग था या पूर्व नियोजित साजिश, यह जांच का विषय है। आर्य ने कहा कि यह मामला परीक्षा तंत्र में गहरे सुराखों को उजागर करता है और केवल आरोपियों की गिरफ्तारी से न्याय नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि यह केवल एक पेपर लीक का मामला नहीं है, बल्कि यह उन लाखों बेरोजगार युवाओं के सपनों की हत्या है, जो हर दिन परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि जिम्मेदारी तय क्यों नहीं की जा रही उन अधिकारियों पर जिन्होंने इस परीक्षा केंद्र को मंजूरी दी? क्यों नहीं पहले से जांच की गई कि जैमर की कवरेज हर कमरे में है या नहीं? और क्यों नहीं हुई हर कमरे की निगरानी? आर्य ने कहा कि भले ही सरकार ने इस प्रकरण में एसआईटी गठित की हो, लेकिन जिस तरह इस मामले में भाजपा से जुड़े लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, उसे देखते हुए निष्पक्ष जांच की संभावना क्षीण प्रतीत होती है।
उन्होंने मांग की कि सरकार को परीक्षा को निरस्त करते हुए पूरे पेपर लीक प्रकरण की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में सीबीआई से करानी चाहिए, ताकि सरकारी भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनी रहे और युवाओं का भरोसा बहाल किया जा सके।