हरीश त्रिवेंद्र की मुलाकात इत्तेफाक या योजनाबद्ध
योगेश राणा
देहरादून। दो तस्वीरों की खूब चर्चा हो रही है। पहली तस्वीर उत्तर प्रदेश के संदर्भ है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक साथ हैं। यह तस्वीर लखनऊ में बनी है और उत्तर प्रदेश की राजनीति को साधने की एक कोशिश के तौर पर देखी जा रही है। अब मैं दूसरी तस्वीर की बात करता हूं, यह तस्वीर देहरादून में बनी है।
इसमें उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व हरीश रावत हैं। यहां सवाल यह पैदा होता है कि पहली तस्वीर से उत्तर प्रदेश की राजनीति को साधने की कोशिश की जा रही है, लेकिन दूसरी तस्वीर से किसको साधने की कोशिश की जा रही है, इस पर बात होनी जरूरी है।लेकिन, पहले मैं यह बता दूं कि हरीश रावत भाजपा के असंतुष्टों से संपर्क कर रहे हैं और त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद ही हरीश रावत से मिलने पहुंच गए, इसकी चर्चा हो रही है।
यह तस्वीर किसको साधने के लिए बनी है, आइये इस पर बात करते हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तस्वीर के साथ अपने सोशल मीडिया पेज पर लिखा है कि लंबे अंतराल के बाद आदरणीय हरीश रावत जी से चलते-चलते भेंट हुई। कोरोना के पश्चात उनके स्वास्थ्य में काफी सुधार देखा। स्वास्थ्य के बारे में पूछने पर उन्होंने अपने अंदाज़ में कहा मैं स्वस्थ हूँ। आप गौर करें, त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लिखा है कि चलते चलते भेंट हुई।
लेकिन क्या यह चलते चलते भेंट भर है। मैं बात को आगे बढ़ा देने से पहले यह बता दूं कि यह तस्वीर किसी शादी या पार्टी में अचानक मिलने के समय की नहीं है। दोनों अपने एक कॉमन दोस्त के यहां पर मिले हैं। यह तस्वीर हरीश रावत ने भी अपने सोशल मीडिया पेज पर शेयर की है।
हरीश रावत डोईवाला क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से कुछ ज्यादा ही सक्रिय हैं। विभिन्न कार्यक्रमों में वहां लगातार जा रहे हैं। और डोईवाला से त्रिवेंद्र सिंह रावत विधायक हैं। ध्यान में यह भी रखना चाहिए कि हरीश रावत कुछ दिन पहले ही डोईवाला में भाजपा की जिला उपाध्यक्ष और पूर्व ब्लॉक प्रमुख नगीना रानी के घर अचानक पहुंच गए थे। भाजपा नेता रामेश्वर लोधी नगीना रानी के पति हैं। पिछले काफी समय से सियासी हलकों में उनकी भाजपा से नाराजगी की चर्चाएं हैं। और त्रिवेंद्र सिंह रावत भी बहुत ज्यादा अपनी सरकार और आला कमान से खुश नहीं रहते हैं, इसकी गवाही उनके बयान देते रहते हैं।
वैसे तो कुर्सी जाने के बाद वो कम ही बोलते हैं और लेकिन बोलते हैं तो अपनी ही सरकार को संकट में डाल देते हैं। देवस्थानम बोर्ड की बात हो या फिर प्रधानमंत्री के दौरे से पहले बाबा केदारनाथ धाम का उनका दौरा। त्रिवेंद्र एक मंझे हुए नेता है, इसलिए प्रधानमंत्री के दौरे से पहले उनके बाबा केदारनाथ जाने पर सवाल उठाए जाते हैं।
हरीश रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत इस मुलाकात को चलते चलते हुए मुलाकात बता रहे हैं, लेकिन तीन बातें हैं जिन पर गौर किया जा सकता है। एक- जब चुनाव सिर पर होते हैं तो हर बात और मुलाकात के मायने होते हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत मंझे हुए नेता हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत अचानक नहीं मिले, वो हरीश रावत की सेहत जानने के बहाने गए। यह हरीश रावत ने खुद ही कहा है।
दो- डोईवाला सीट से त्रिवेंद्र को टिकट मिलेगा या नहीं, इस पर तमाम अटकलें हैं। वहां पर और भी कई मजबूत दावेदार हैं। ध्यान में यह भी रखना चाहिए कि हरक सिंह भी अपनी मौजूदा सीट कोटद्वार को बदलना चाह रहे हैं। और त्रिवेंद्र के एक बहुत ही करीबी भी वहां पर एक्टिव हैं, ऐसा सब जानते हैं।
तीन- जब त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी जा रही थी तो कोई उनके साथ नहीं था। हरीश रावत उस समय लगातार उनके पक्ष में बोल रहे थे और यह भी ध्यान में रखना चाहिए। इस मुलाकात के दिन ही शाम को हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर आधा घंटे उत्तराखंड के लोगों से बात की है।
हरीश रावत ने त्रिवेंद्र की तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि परिसंपत्तियों पर उत्तर प्रदेश के साथ समझौता त्रिवेंद्र सिंह रावत का ज्यादा अच्छा था, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के हितों की रक्षा नहीं की है।
अंत में एक बात-
राजनीतिक गलियारों में बड़ी चर्चा है कि भाजपा में इस बार बड़े बड़े दिग्गजों के टिकट कटने वाले हैं। क्या इस तस्वीर को टिकट साधने की दिशा में की जा रही एक कोशिश के तौर पर नहीं देखा जा सकता है?
त्रिवेंद्र सिंह रावत बड़े नेता हैं और हरीश रावत राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। राजनीति में हर तस्वीर के मायने होते हैं और ध्यान में यह भी रखना चाहिए कि यह तस्वीर किसी शादी या फिर पार्टी में अचानक हुई मुलाकात की नहीं है। यह दोनों दिग्गजों के कॉमन दोस्त के यहां हुई मुलाकात की फोटो है। वैसे, हरीश रावत का कहना है कि वो फिजियोथेरेपी कराने गए थे। जहां गए थे वो त्रिवेंद्र सिंह रावत के घर के नजदीक था, त्रिवेंद्र जी को पता चला और वो आ गए। वैसे हरीश रावत से जब मीडिया ने यह पूछा कि आपने त्रिवेंद्र रावत से क्या कहा है तो उन्होंने बताया कि मैंने उनसे कहा है, भाजपा ने आपको ठिकाने लगा दिया है, लेकिन धैर्य रखे, सब ठीक हो जाएगा।
अब हरीश रावत और त्रिवेंद्र की यह मुलाकात उत्तराखंड की राजनीति में कोई मोड़ लाएगी या बस एक मुलाकात के तौर पर ही रह जाएगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
*लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं।