उत्तराखंड

इंजीनियरों की कड़ी मेहनत और मशक्कत के बाद आखिरकार यमुना से 1.2 किमी ऊंचाई पर स्थित राधा भवन के टैंक में पहुंचा गया पानी

उत्तराखंड की सबसे लंबी पेयजल योजना से यमुना से मसूरी पानी पहुंचाने की प्रक्रिया के पहले चरण में यमुना स्थित कुएं से मुख्य पंपिंग स्टेशन तक पहले पानी पहुंचाया गया।

रात एक बजे, इंजीनियरों की कड़ी मेहनत और मशक्कत के बाद आखिरकार यमुना से 1.2 किमी ऊंचाई पर स्थित राधा भवन के टैंक में पानी पहुंच गया। इसके साथ ही पेयजल विभाग के अधिकारियों ने राहत की सांस ली। लोगों ने खुशी में पटाखे फोड़े और मिठाइयां बांटीं। महज तीन साल में 144 करोड़ की परियोजना से सफलतापूर्वक पानी चढ़ने से मसूरी को 30 साल तक पेयजल की किल्लत नहीं होगी। इस योजना से मई के आखिर में पेयजल मिलना शुरू हो जाएगा।

सबसे लंबी पेयजल योजना से यमुना से मसूरी पानी पहुंचाने की प्रक्रिया के पहले चरण में यमुना स्थित कुएं से मुख्य पंपिंग स्टेशन तक पहले पानी पहुंचाया गया। उसके बाद आगे के दो पंपिंग स्टेशन (आईपीएस-1 व आईपीएस-2) का ट्रायल सफल रहा। सबसे आखिर में 13/14 मई की रात एक बजे मसूरी के राधा भवन तक पानी पहुंच गया।

144 करोड़ की इस योजना के तहत 18 किलोमीटर लंबी पेयजल लाइनों से 1.2 किमी ऊंचाई तक पानी पहुंचाया जा रहा है। योजना में चीफ इंजीनियर कुमाऊं सुजीत विकास, एसई डीके बंसल, एसई प्रवीन राय, ईई संदीप कश्यप, जेएस कठैत, रावत की टीम ने इस परियोजना को परवान चढ़ाने में खास योगदान दिया।

प्रदेश में इससे पहले जब भी पेयजल निगम ने लंबी दूरी की पेयजल योजनाएं बनाई हैं, वह ट्रायल स्तर पर ही सिरदर्द बन जाती थी। उनका पाइप फटने से लेकर पंपिंग सेट न चलने तक जैसी समस्याएं आज भी आम हैं। यमुना से मसूरी पेयजल की ऐसी योजना है, जिसका हर ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा हुआ है। 18 किलोमीटर लंबी पेयजल लाइन में ट्रायल के दौरान कहीं भी दिक्कत नहीं आई।

पेयजल निगम के एमडी उदयराज सिंह ने बताया कि अभी कुछ दिन इसका ट्रायल चलेगा क्योंकि पेयजल लाइन के भीतर की पूरी गंदगी इससे दूर हो जाएगी। सिस्टम पूरा विकसित हो जाएगा। इसके बाद मई के आखिर से मसूरीवासियों को शुद्ध पेयजल मिलना शुरू हो जाएगा। परियोजना में अहम योगदान देने वाले कुमाऊं के प्रभारी चीफ इंजीनियर सुजीत विकास ने बताया कि परियोजना मील का पत्थर साबित होगी।

बहुप्रतीक्षित पेयजल योजना को लेकर महकमा कितना गंभीर रहा, इसका अंदाजा सचिव पेयजल और मुख्य सचिव की सक्रियता से लगाया जा सकता है। सचिव पेयजल नितेश झा इस परियोजना की हर सप्ताह समीक्षा कर रहे थे तो मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू भी हर 15 दिन में इसकी प्रगति रिपोर्ट ले रहे थे। पहले इस परियोजना से 10 मई को पानी पहुंचाने की तैयारी थी, लेकिन बीच में कई दिन मौसम खराब होने की वजह से काम में थोड़ी बाधा हुई।

यमुना से मसूरी तक पानी का ट्रायल सफल होने की सूचना जैसे ही मसूरीवासियों को मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। लोग बड़ी संख्या में एकत्र हुए। पटाखे फोड़कर और मिठाइयां बांटकर खुशी का इजहार किया। लोगों का कहना था कि अब गर्मियों में उन्हें टैंक के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा। उनके घर तक पर्याप्त मात्रा में पानी पहुंचेगा।

बजट : 144 करोड़
पाइपलाइन : 18 किमी
यमुना से ऊंचाई : 1.2 किमी
लाभान्वित आबादी : 93,520

 यमुना से भेड़ियाना गांव स्थित ट्रीटमेंट प्लांट और मेन पंपिंग स्टेशन तक। उसके बाद कैंप्ची फॉल स्थित दूसरा पंपिंग स्टेशन, फिर सुरभि रिजॉर्ट स्थित पंपिंग स्टेशन और फिर मसूरी के राधा भवन स्थित पानी की टंकी तक।

मसूरी पेयजल परियोजना के सफल ट्रायल पर पेयजल निगम की पूरी टीम बधाई की पात्र है। मसूरीवासियों के लिए यह योजना एक सौगात साबित होगी। इसी महीने हम परियोजना से घर-घर तक पानी पहुंचाना शुरू कर देंगे।

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