कोई यूं ही नहीं पुष्कर हो जाता

कोई यूं ही नहीं पुष्कर हो जाता
हम सोकर उठे ,पानी बरस रहा था मौसम खराब था ,वो जान की परवाह न करके खराब मौसम में हैलीकॉप्टर में बैठ गया ,क्योंकि उसे अपने लोगों की जिन्होंने अपने गंवा दिए , उनकी चिंता थी , पता है खुद रहेंगे तो काम और तेजी से अच्छे से होगा निगरानी के साथ , हमने नाश्ता किया भरपेट तब वो आसमान से देख रहा था तबाही , जब हमने नाश्ते के बाद वाली चाय पीकर एक डकार मारी ,वो बैठा था कंट्रोल रूम में सब समझने , बिना किसी तामझाम के ,
हम खबरों में खोए और विरोधी मजाक बनवा रहे कि हवाई दौरा हो गया , वो जान की परवाह किए बिना वहां था जहां लोगों को उसके कंधे की जरूरत है , हमारा तब तक खाने का समय हो गया और हम दाल के साथ सब्जी कैसी है ये देखने लगे ,वो उस समय बीमारों ओटले घायलों को बिना किसी मास्क लगाए बिना किसी परहेज के देख रहा था , हमने खाने के बाद स्वीट भी मंगवा लिया वो बीमारों की तीमारदारी और राहत कार्यों को देख रहा , किसी ने उस से पूछा नहीं कि जान जोखिम में डाल कर आए हो कुछ खाया कि नहीं ,
वो पहले वाले की तरह भी नहीं जो एक चक्कर लगा कर वी आई पी नाश्ता करने बैठ गया हो , वो अभी भी भी वहीं है जहां लोगों की जरूरत है उसकी , तब जबकि खाने के बाद की हमारी नैप भी हो गई , इसीलिए मैं कहता हूं ,बार बार कहता हूं कि यूं ही नहीं बनता कोई पुष्कर , इंसान हैं तमाम कमियां हो सकती हैं मगर पुष्कर का होना असल में बताता है कि वो युवा है वो पुष्कर है ,वो हमदर्द है वो पुष्कर है ,वो जमीन से आया है वो पुष्कर है ,वो आमजन से जुड़ा है वो पुष्कर है ,वो वी आई पी होकर भी आम है वो पुष्कर है , तुम जलते रहना कुढ़ते रहना ,वो यूं ही बिंदास अपना काम करता रहेगा क्योंकि वो पुष्कर है ।