एक्सक्लुसिव

आखिर कहां गई वीडीओ परीक्षा घोटाले की जांच रिपोर्ट

त्रिवेंद्र सरकार के समय में हुई थी जांच

तत्कालीन एसीएस रणवीर सिंह थे कमेटी के अध्यक्ष

पुलिस, कार्मिक और विधि विभाग के भी अफसर

आयोग के खिलाफ एफआईआर की थी सिफारिश

चार साल से तो फाइलों में ही कैद है जांच रिपोर्ट

त्रिवेंद्र सिंह अब कर रहे हैं सीबीआई जांच की बात

देहरादून। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में भर्ती घोटाला शुरुआत से ही होता रहा है। लेकिन किसी भी सरकार ने इसे गंभीरता ने नहीं लिया। आलम यह रहा कि वीडीओ (ग्राम पंचायत अधिकारी) भर्ती घोटाले की जांच को बनी एक उच्च स्तरीय कमेटी की जांच रिपोर्ट को त्रिवेंद्र सरकार ने लगभग रद्दी की टोकरी में डाल दिया। वही त्रिवेंद्र कुर्सी से हटने के बाद अब भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।

आयोग अपनी पहली भर्ती परीक्षा से ही चर्चा में रहा है। घोटाले दर घोटाले सामने आते रहे। परीक्षाएं रद होती रही। लेकिन सरकारों ने इस दिशा में कोई ध्यान ही नहीं दिया। अब सीएम पुष्कर के निर्देश पर एक एफआईआर की एसटीएफ जांच कर रही है तो चौकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। अब तो पुरानी एफआईआर भी पुनः विवेचना के लिए एसटीएफ को दी जा रही हैं।
आयोग की जांच के लिए सीबीआई जांच की मांग तेज हो रही है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इसमें सुर मिला दिए हैं। लेकिन सीएम की कुर्सी पर रहते त्रिवेंद्र ने इन घोटालों को नजर अंदाज करके एक तरीके से शह ही दी है। इसे इस तथ्य के प्रकाश में देखें कि वीडीओ घोटाले की जांच को बनी कमेटी की सिफारिशों के रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि वीडीओ भर्ती घोटाले की जांच को तत्कालीन एसीएस रणवीर सिंह का अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी। इसमें आईपीएस अफसर गणेश सिंह मार्तोलिया के साथ ही अपर सचिव कार्मिक और अपर सचिव विधि भी सदस्य थे। इस कमेटी ने फारेंसिक जांच के बाद पाया कि ओएमआर शीट में छेड़छाड़ की गई है। हैंड राइटिंग में भी फर्क था। शीट पर प्ल्यूड लगाकर उत्तर सही किए गए हैं। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में आयोग अफसरों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की थी।

त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्रित्व काल में वर्ष 2018 में यह रिपोर्ट सरकार को दी गई थी। लेकिन युवाओं के भविष्य़ के खिलवाड़ वाले गंभीर भ्रष्टाचार के इस मामले में पता नहीं क्यों त्रिवेंद्र सरकार ने मौन साध लिया। त्रिवेंद्र मार्च-2021 तक सीएम रहे और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का गाना गाते रहे। लेकिन इस रिपोर्ट पर कोई एक्शन नहीं लिया।

जानकारों का कहना है कि इस जांच रिपोर्ट के आधार पर त्रिवेंद्र सरकार ने कोई एक्शन लिया होता तो घोटाला करने वालों के हौसले इस कदर बुलंद न होते। कहा जा रहा है कि जांच रिपोर्ट की सिफारिशों के रद्दी की टोकरी में डालने वाले पूर्व सीएम अब किस नैतिकता के आधार पर सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।

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