एक्सक्लुसिव

बेसब्रीः प्रमोशन कर दो, कोरोना से लड़ते रहना

राज्य के आर्थिक हालात पर सीएम की चिंताओं से अफसरों का नहीं कोई वास्ता

प्रमोशन की कार्यवाही जल्द से जल्द पूरा करने को उतावले हैं  वरिष्ठ अधिकारी

न्यूज वेट ब्यूरो

देहरादून। कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में ज्यादा से ज्यादा योगदान की अपील कर रहे हैं, वहीं अधिकारियों का ध्यान अपने प्रमोशन और वेतनवृद्धि पर है। वित्त सचिव , जिनके पास आपदा प्रबंधन का भी जिम्मा है, का विभाग ही प्रमोशन के लिए इतना उतावला हो गया है कि उसने विभागाध्यक्ष के स्तर पर होने वाली पदोन्नति के कार्यवाही को पूरा करने के लिए दो दिन का वक्त दिया है।

29 अप्रैल को अपर सचिव की ओर से जारी इस आदेश में कार्मिक विभाग के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा गया कि विभागाध्यक्षों के स्तर से होने वाली पदोन्नति की कार्यवाही की सभी औपचारिकताएं पूरी की जाएं, जिनकी पदोन्नति की कार्यवाही शासन या लोक सेवा आयोग के स्तर से होनी है, का प्रस्ताव दो दिन के भीतर शासन को उपलब्ध कराया जाए। साथ ही, शासन स्तर पर संयुक्त आयुक्त व उपायुक्त की पदोन्नति की पात्रता सूची में आने वाले अधिकारियों की गोपनीय वार्षिक प्रविष्टी शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर शासन को उपलब्ध कराई जाए।

कार्मिक विभाग, हर वर्ष की तरह प्रमोशन की प्रक्रिया के लिए यह पत्राचार करता है, लेकिन वित्त विभाग की जिम्मेदारी तो आर्थिक हालात सुधारने संबंधी कार्यवाही करने की होती है। ऐसी स्थिति में जब मुख्यमंत्री कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से प्रदेश में उपजी आर्थिक चुनौतियों के प्रति चिंता व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने आर्थिक हालातों से निपटने हेतु सुझावों के लिए उच्च स्तरीय सलाहकार समिति तक गठित कर दी। वहीं मुख्यमंत्री राहत कोष में बढ़चढ़कर योगदान की अपील की जा रही है। इतना ही नहीं डीए भी फ्रीज कर दिया गया है। मुख्यमंत्री की चिंताओं से समझा जा सकता है कि प्रदेश में आर्थिक हालात किस स्तर पर हैं। ऐसे में वित्त विभाग की प्रमोशन संबंधी जल्दबाजी पर सवाल उठाना लाजिमी है।

सवाल तो यह भी उठाया जा रहा है कि वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान प्रदेश में कोरोना संक्रमण से निपटने, प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को फिर से पटरी पर लाने की बजाय प्रमोशन पर क्यों है। जबकि वित्त सचिव के पास आपदा प्रबंधन का भी जिम्मा भी है। वित्त के अफसरों को तो मालूम ही होगा कि प्रमोशन से प्रदेश पर कितना आर्थिक बोझ पड़ेगा। क्या उत्तराखंड के वित्त विभाग ने प्रमोशन के लिए वित्तीय प्रबंधन कर रखा है, जिसका मुख्यमंत्री की आर्थिक चिंताओं से कोई वास्ता नहीं है।

हम यह कतई नहीं कहते कि प्रमोशन नहीं होने चाहिए। यह सब किसी अधिकारी या कर्मचारी की सेवाओं का अहम हिस्सा है, लेकिन क्या किसी आपात स्थिति में इससे परहेज नहीं किया जाना चाहिए। उस स्थिति में यह प्रक्रिया को किनारे कर दिया जाना चाहिए, जब आर्थिक हालात खराब हों।

संबंधित खबर

गजबः प्रमोशन के लिए पैसा और भत्ते “फ्रीज”

Back to top button