काश! आयोग की पहली गड़बड़ी त्रिवेंद्र न करते ‘नजरअंदाज’
अब कर रहे आयोग भंग करने की मांग
आयोग के आला अफसर आए निशाने पर
जुगरान ने की श्वेतपत्र जारी करने की मांग
एसटीएफ पकड़ चुकी दस से ज्यादा प्यादे
पर मगरमच्छ अभी भी पकड़ से है बाहर
देहरादून। उत्तराखंड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के परीक्षा पेपर लीक मामले में अब आयोग के आला अफसर निशाने पर आ गए हैं। 2017 में पहली गड़बड़ी के नजरअंदाज करने वाले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इस आयोग को भंग करने की बात कर रहे हैं तो वरिष्ठ आंदोलनकारी भाजपा नेता आयोग से श्वेत पत्र जारी करने की मांग कर रहे हैं। अहम बात यह भी है कि एसटीएफ इस मामले में अभी तक दस से ज्यादा गिरफ्तारी कर चुकी है लेकिन मास्टर माइंड की तलाश को मशक्कत करनी पड़ रही है।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत कह रहे हैं कि उनके सीएम रहते इस आयोग की पहली गड़बड़ी 2017 में सामने आई थी। आयोग में उक्त घोटाला कांग्रेस सरकार के समय में 2016 में हुआ था। त्रिवेंद्र अब इस आयोग के भंग करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन इस बात का जवाब नहीं दे रहे हैं कि 2017 में पहली गडबड़ी पकड़ में आने के बाद उन्होंने क्या एक्शन लिया। आखिरकार क्या वजह थी कि आयोग के अध्यक्ष और सचिव को नहीं बदला गया।
आयोग के अध्यक्ष और सचिव के साथ ही सदस्यों को भी भाजपा नेता रवींद्र जुगरान ने निशाने पर लिया है। अपनी फेसबुक वॉल पर जुगरान ने लिखा कि सभी को अपनी संपत्ति व कार्यों की जांच के लिए खुद ही आगे आना चाहिए। जुगरान ने कहा कि आयोग को मुन्ना भाइयों के पकड़े जाने के बाद,इतने बड़े स्तर पर भर्ती में धांधली उजागर होने के बाद, भर्ती परीक्षाओं में इतने लोगों के पकड़े जाने के बाद श्वेत पत्र जारी करना चाहिये। चयन सेवा आयोग के अध्यक्ष/ सचिव समेत सभी सदस्यों को मीडिया के माध्यम से इस खेद जनक स्थिति पर अपना मत, वक्तव्य व विचार उत्तराखंड की जनता के सम्मुख रखना चाहिये विशेष कर भर्ती परीक्षाओं की तैयारी कर रहे उत्तराखंड के नौजवानों के समक्ष। वर्तमान और भविष्य में होने वाली भर्ती परीक्षाओं में उत्तराखंड के अभ्यर्थियों का विश्वास बना रहे इसके लिये आयोग को उत्तराखंड की जनता को विश्वास दिलाना चाहिये।
भर्ती प्रक्रिया में उजागर हुई अनियमितता व धांधली से नौजवानों का उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग की कार्यप्रणाली से विश्वास कम हुआ है जिसको पुनः कायम करने की जरूरत है। भर्ती परीक्षा में उजागर हुई धांधली में छोटी मछलियों के साथ जब तक बड़े मगरमच्छ पकड़ में नहीं आते तब तक वर्तमान और भविष्य में भी सुधार संभव नहीं होगा। धांधली के लिये जिम्मेदार बड़े मगरमच्छों का पकड़ा जाना अतिआवश्यक है।
इधर, एसटीएफ भले ही इस मामले में 10 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर लाखों की बरामदगी कर चुकी है। लेकिन उसकी कोशिश इस घोटाले के मास्टर माइंड मगरमच्छ को गिरफ्त में लेने की है। एसटीएफ इस दिशा में आगे बढ़ रही है। कहा जा रहा है कि अगर एसटीएफ मगरमच्छों तक पहुंच पाई तो कई सफेदपोशों के चेहरे बेनकाब होंगे।