एक्सक्लुसिव
उन पांच को तलाशा और न किया कोरंटीन
अमनमणि प्रकरण में 12 लोगों में से पांच का अब तक नहीं सुराग
यूपी पुलिस ने सात को किया था गिरफ्तार
कर्णप्रयाग के एसडीएम ने पकड़े थे 12 लोग
पांच अभी भी उत्तराखंड में ही कर रहे मौज
न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता का नाम का बेजा इस्तेमाल करके लॉतडाउन में पास जारी करने के मामले में उत्तराखंड सरकार भले ही बैकफुट है। पर एक बड़ा सवाल यह है कि विधायक के काफिले से गायब पांच लोग उत्तराखंड में कहां खो गए और इन्हें तलाश करके गिरफ्तारी के बाद कोरंटीन करने की जरूरत आला अफसर क्यों नहीं महसूस कर रहे हैं।
एसीएस ओमप्रकाश ने विधायक अमनमणि त्रिपाठी समेत 11 लोगों को तीन वाहनों में में जाने के लिए पास जारी करने को कहा। देहरादून के एडीएम ने नियमों का हवाला देकर महज नौ लोगों को पास जारी किया। पास देहरादून जिले से जारी हुआ और ये दबंग पौड़ी जिले की सीमा से उत्तराखंड में घुसे। कर्णप्रयाग के एसडीएम ने इन्हें पकड़ा तो तीन वाहनों में 12 लोग मिले। इन्हें वापस भेज दिया गया।
इसके बाद शुरू होता है नया खेल। यूपी सरकार के निर्देश पर इन लोगों को बिजनौर जिले में पकड़ा गया तो इनकी संख्या मिली महज सात। विधायक समेत सभी सात लोगों को गिरफ्तार करके कोरंटीन कर दिया गया। इनकी जांच रिपोर्ट क्या आती है, ये अलग मामला है। बड़ा सवाल ये है कि कर्णप्रयाग में 12 लोग थे। तो बाकी पांच कहां गए। जाहिर है कि ये लोग उत्तराखंड में ही कहीं विचरण कर रहे हैं। पुलिस के पास उस तीसरी गाड़ी का नंबर भी है जो देहरादून की ही है। जाहिर है कि ये पांच लोग देहरादून में रुके हैं। ऐसे में क्या इन लोगों की लॉकडाउन के उल्लघंन में गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए। इतना ही नहीं क्या इन लोगों को कोरंटीन में नहीं भेजा जाना चाहिए। लेकिन मामला आला अफसरों का है और अगर इन्हें गिरफ्त में लिया जाता है तो कहीं ये सारी पोल न खेल दे। शायद यही वजह है कि इन लोगों की गिरफ्तारी करने की बजाय खुला छोड़ दिया गया है। सवाल यह है कि इनमें से अगर कोई कोरोना संक्रमित हुआ तो क्या वह इस बीमारी को अन्य लोगों में नहीं फैलाएगा। लेकिन जिम्मेदार लोगों को इसकी कोई परवाह नहीं हैं।
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