प्रवासियों के आने से संक्रमितों की संख्या बढ़ने की सीएम जता चुके हैं आशंका
दो माह में नौ जिलों से लिए महज 749 सैंपल
पहाड़ पर चढ़ रही है प्रवासी नागरिकों की भीड़
ज्यादा सैंपल लेने का नहीं किया कोई इंतजाम
नहीं चेत रही है स्वास्थ्य विभाग की मशीनरी
न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पहले ही आशंका जता चुके हैं कि प्रवासियों के आने के बाद पहाड़ पर कोरोना संक्रमण खासा बढ़ सकती है। विभिन्न राज्यों से आने वाले प्रवासियों की भीड़ पहाड़ पर चढ़ रही है। लेकिन स्वास्थ्य महकमे का टेस्टिंग की संख्या बढ़ाने पर कोई ध्यान नहीं है। आलम यह है कि राज्य में पहला मरीज आने के बाद पहाड़ के नौ जिलों में अब तक महज 749 सैंपल ही लिए गए हैं।
उत्तराखंड में कोविड-19 का पहला मामला 15 मार्च को सामने आया था। अब करीब दो महीने होने को हैं। इस दौरान एक बड़ी चिन्ताजनक स्थिति यह रही कि राज्य के पर्वतीय जिलों में सैम्पलिंग बहुत कम हुई है। सामाजिक कार्यकर्ता और कोविड-19 के बचाव में काम करने वाले अनूप नौटियाल ने इस बारे में अपनी चिंता जाहिर की है। अनूप के मुताबिक वे पिछले कुछ दिनों से विभिन्न मंचों से राज्य सरकार, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से अपील कर रहे हैं कि पर्वतीय क्षेत्रों में टेस्ट की संख्या बढ़ाई जाए। ज्यादा टेस्ट होने से मरीजों का आंकड़ा बेशक बढ़े, लेकिन ऐसा करना बड़ी आबादी को प्रभावित होने से बचाने के लिए बेहद जरूरी है। कम टेस्ट होने से खतरा यह है कि पहचान न हो पाने के कारण कोई संक्रमित व्यक्ति अनजाने में बीमारी फैला सकता है।
यहां बता दें कि इस समय विभिन्न राज्यों से प्रवासी अपने घर लौट रहे हैं। ऐसे में इन पर्वतीय जिलों में टेस्टिंग और सैंपलिंग के काम में तेजी की जरूरत हैं। सरकारी मशीनरी को मुख्यमंत्री की उस चिंता की भी परवाह नहीं हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि प्रवासियों के आने के बाद राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 25 हजार तक जा सकती है।
पहाड़ के नौ जिलों में अब तक की सैंपलिंग की स्थिति
उत्तराकाशी में 256 (रोजाना औसतन चार-चार सैंपल), अल्मोड़ा में 126 और पौड़ी में 108 (रोजाना औसतन दो-दो सैंपल), चंपावत में 80, रुद्रप्रयाग में 41 और टिहरी में 41, बागेश्वर में 35, चमोली में 34 और पिथौरागढ़ में 28 (औसतन रोजाना एक-एक सैंपल)। इनमें से भी अभी तक 676 सैंपल्स की ही जांच हो सकी है।