सोडे का ‘उफान’ साबित हुआ मंत्री का ‘गुस्सा’

पहले ‘भड़के’ और बाद में खुद ही की अफसरों की ‘पैरवी’
चर्चाओं में अचानक ही मिजाज का ऐसे बदलना
किच्छा विधायक शुक्ला अपने रुख पर आमादा
देहरादून। अफसरशाही को लेकर वरिष्ठ काबीना मंत्री मदन कौशिश का गुस्सा महज सोडे की बोतल का उफान ही साबित हुआ। भरी मीटिंग में सचिवों पर भड़कने वाले मंत्री जी चंद घंटों बाद ही उन्हीं अफसरों की पैरवी करते नजर आए। एक वरिष्ठ मंत्री का इस तरह से अचानक यू-टर्न लेना सचिवालय में भी चर्चाओं में है। दूसरी ओर किच्छा विधायक राजेश शुक्ला अपने रुख पर अभी तक कायम हैं।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने पिछले दिनों कुंभ कार्यों की समीक्षा के लिए एक बैठक आहूत की थी। इस बैठक में महज दो ही विभागों के सचिव पहुंचे। कई अहम विभागों के सचिव आए ही नहीं। इस पर मंत्रीजी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। मीडिया के कैमरों के सामने की मंत्री जी ने जमकर भड़ास निकाली और बैठक छोड़कर चले गए।
यहां बता दें कि ब्यूरोक्रेसी की कार्यशैली को लेकर मंत्रियों, विधायकों और सत्तारूढ़ दल के नेताओं की नाराजगी आए दिन सामने आती रहती है। हालात ये हैं कि मुख्य सचिव को इस बारे में एक पत्र लिखकर अफसरों को निर्देश देने पड़े कि जनप्रतिनिधियों का सम्मान किया जाए।शासकीय प्रवक्ता जैसा ओहदा भी संभाल रहे काबीना मंत्री के इस रुख से लगा कि अब सरकार कोई सख्त कदम उठा सकती है।
लेकिन ये क्या। मंत्रीजी ने अगले दिऩ खुद ही यू-टर्न ले लिया। मीडिया ने जब उनसे पूछा तो बोले- हो सकता है कि सचिवों को समय पर सूचना ही न मिल पाई हो। और वे कहीं और बैठक में हों। इसके विपरीत मंत्रीजी ने भड़के तो कहा था 10 दिन पहले इस मीटिंग की सूचना दी गई थी। फिर भी कहां हैं सचिव। मंत्री जी का यह नया रुख सचिवालय में चर्चा का विषय बना हुआ है। सोशल मीडिया में भी मंत्रीजी का यह यू-टर्न खासा ट्रेंड हो रहा है। कहा जा रहा है कि आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि एक वरिष्ठ मंत्री को अपनी ही बात को काटना पड़ा।
दूसरी ओर ऊधमसिंह नगर के डीएम डॉ. नीरज खैरवाल पर आरोप लगाने वाले किच्छा विधायक राजेश शुक्ला अपने स्टैंड पर कायम हैं। उनका कहना है कि वे स्पीकर को विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव भेज चुके हैं। अब विधानसभा में ही इसका फैसला होगा।