ब्यूरोक्रेसी

‘खाकी’ में इंसानियत निखारते डीजीपी अशोक

पुलिस महकमे के नए मुखिया ने किए अहम फैसले

पर्वतीय जनपदों के कर रहे ताबड़तोड़ दौरे

आप जनता से भी कर रहे हैं सीधा संवाद

पुलिस कर्मियों के हित में उठा रहे कदम

खामी मिलने पर तत्काल हो रहा एक्शन

देहरादून। आईपीएस अफसर अशोक कुमार ने दस साल पहले एक पुस्तक खाकी में इंसान लिखी थी। अब अशोक उत्तराखंड पुलिस महकमे के मुखिया है। कार्यभार संभालने के महज डेढ़ माह के अंदर ही उन्होंने कई अहम फैसले लेकर यह साबित किया है कि वे किताबी ज्ञान को अमलीजामा पहनाकर खाकी में इंसानियत को निखारने की कवायद में जुटे हैं। उनका फोकस है कि अपराधियों को खाकी का खौफ बने और आम जनता इस खाकी को अपना सही मायनों में रक्षक ही समझे।

आईपीएस अशोक की किताब ‘खाकी में इंसान’ खासी लोकप्रिय हुई है। कहा जाता है कि किताब लिखना और उस पर अमल करना दो अलग बातें हैं। लेकिन उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक बनने के बाद अशोक ने जिस अंदाज में बैटिंग की है, वह यह संदेश देने के लिए काफी है कि उन्होंने अपनी किताब में जो लिखा था, उस पर अमल करके खाकी की इंसानियत को और भी निखारा जा सकता है। उन्होंने कार्यभार संभालते की पुलिस कर्मियों से सीधा संवाद किया और साफ कर दिया कि वर्क, अनुशासन और जनकल्याण ही सभी का ध्येय होना चाहिए। काम करने वालों को सम्मानित किया जाएगा और कोताही बरतने वालों पर तत्काल ही एक्शन होगा। इसी अंदाज में कई कर्मियों को दंडित भी किया गया है।

डीजीपी कहते हैं कि आम आदमी की शिकायत को तत्काल सुनकर उस पर एक्शन करने का निर्देश दिया गया है। ऐसा न हो कि आम आदमी थाने और चौकी के चक्कर काटता रहे हैं। किसी भी शिकायत को तत्काल दर्ज किया जाए और दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगा। इस मामले में किसी भी तरह की कोताही को सहन नहीं किया जाएगा।

बगैर अवकाश के 24 घंटे ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों अब साप्ताहिक अवकाश देने का फैसला किया गया है। डीजीपी से आदेश दिया है कि पहले चरण में राज्य के नौ पर्वतीय जनपदों में इसे एक जनवरी से लागू कर दिया गया है। उत्तराखंड में एक बड़ी समस्या पहाड़ और मैदानी जनपदों में तैनाती की। सियासी पहुंच वाले कर्मी मनमर्जी की पोस्टिंग पा जाते हैं और बाकी लोगों को अफसरों के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाता है। अब डीजीपी ने तैनाती अवधि तय कर दी है। समय पूरा होते ही संबंधित कर्मी का स्वतः ही दुर्गम या सुगम में तबादला हो जाएगा।

पुलिस प्रमुख ने तय किया है कि अगर किसी गंभीर मामले में शिकायतकर्ता पुलिस की जांच से यदि संतुष्ट नहीं होता है, तो ऐसी शिकायत की पुलिस मुख्यालय वीडियो कांफ्रेंसिंग से होगी। यह व्यवस्था भी एक जनवरी से लागू हो कर दी गई है। अब शिकायतकर्ता या जांच अधिकारी को दुर्गम स्थलों ने मुख्यालय आने की जरूरत नहीं होगी। जनता से सीधे संवाद के दौरान उन्हें कुछ शिकायतें मिली तो तत्काल ही पुलिस कर्मियों के खिलाफ एक्शन लिया गया।

अशोक कुमार ने पुलिस के ध्येय वाक्य मित्रता, सेवा, सुरक्षा के अनुरूप कार्य और पुलिस की समस्त इकाईयों को और अधिक दक्ष बनाने व कर्मियों की कार्य दक्षता को बढ़ाने के लिए मुख्यालय स्तर पर छह समितियां गठित की हैं। ये समितियां भविष्य की कार्ययोजना तैयार करेंगी। ट्रैफिक व्यवस्था बनाए रखने एवं ड्रग्स, साइबर अपराध से निपटने के लिए स्मार्ट तरीकों को अपनाया जा सके। साथ ही पुलिस वेलफेयर और पुलिस आधुनिकरण पर नए सिरे से काम हो। डीजीपी का कहना है कि इससे उत्तराखंड पुलिस अत्यधिक स्मार्ट पुलिस बनेगी।

डीजीपी ने कुमाऊं और गढ़वाल के पर्वतीय जनपदों में ताबड़तोड़ दौरे किए। इस दौरान उन्होंने पुलिस कर्मियों और आम जनता से सीधा संवाद करके जमीनी हकीकत को समझने की कोशिश की।

अशोक कुमार कहते हैं कि उनकी कोशिश है कि आम लोगों में पुलिस के प्रति जो धारणा से उसे बदला जाए। लोगों को यह महूसस होना चाहिए कि पुलिस उनकी मदद के लिए है। अब उत्तराखंड पुलिस का खौफ अपराधियों में होना चाहिए। आम लोग पुलिस को अपना मित्र ही समझें। इसी तरह से पुलिस कर्मियों की दिक्कतों को भी दूर करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। आने वाले समय में इस कवायद का नतीजा सबके सामने होगा।

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