विश्वविद्यालय व उच्च शिक्षण संस्थाएं शोध उन्मुख बनें- डॉ. सुशील कुमार सिंह

विश्वविद्यालय व उच्च शिक्षण संस्थाएं शोध उन्मुख बनें- डॉ. सुशील कुमार सिंह
उत्तराखंड।
उत्तराखंड रजत जयंती के इस शुभ वर्ष में उत्तराखंड एजुकेशन कॉन्क्लेव का आयोजन का किया गया। कॉन्क्लेव का आयोजन देहरादून स्थित वाईएस रिसर्च फाउंडेशन का पॉलिसी एंड एडमिनिस्ट्रेशन व प्रयास आईएएस स्टडी सर्किल के तत्वावधान में संविधान दिवस के के अवसर पर संपादित हुआ। कॉन्क्लेव में शिक्षा और उच्च शिक्षा की दिशा में नित नए बदलाव और नई शिक्षा नीति के लागू होने के साथ हो रहे परिवर्तन पर पैनलिस्ट ने बाकायदा पर चर्चा कर बेहतरीन निष्कर्ष को निकालने का प्रयास किया।

प्रोफेसर राम करन सिंह, कुलपति, इक्फाई विश्वविद्यालय, देहरादून ने अंतरराष्ट्रीय स्टार की शिक्षा पद्धति का उदाहरण देते हुए भारत में उसकी अवधारणा बहुत ही बेहतरीन तरीके से जोड़ने का प्रयास किया। यूरोप और अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था के साथ जापान समेत कई देशों की शैक्षणिक नीति व स्वरूप उन्होंने कॉन्क्लेव में बड़े ही सरलता से पेश किया।
प्रोफेसर सिंह ने यह भी बताया कि भारत में कैसे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बेहतर स्थान हो सकता है उन्होंने आईआईटी व नीट में सफल नहीं होने वाले प्रतियोगियों के लिए भी कहा कि वे कहीं से असफल नहीं है और वह अपनी धारा और दिशा को बदल कर नए रूप के साथ नई मंजिल को तय कर सकते हैं ।
कांक्लेव में शामिल महत्वपूर्ण पैनलिस्ट प्रोफेसर अनिल कुमार दीक्षित, उत्तरांचल विश्वविद्यालय ने शिक्षा के बदलते आयाम पर अपनेविचार रखें। डॉ दिनेश कुमार सक्सेना ने इस अवधारणा को पुराने शैक्षणिक पद्धति से जोड़ने का प्रयास किया।
चार सदस्य इस पैनल में शामिल संस्था के निदेशक, डॉ सुशील कुमार सिंह ने इस कार्यक्रम को संचालन करते हुए शिक्षा के डिजिटलीकरण नई शिक्षा नीति और परीक्षा पद्धति में आई ऑनलाइन व्यवस्था समेत कई बिंदुओं पर अपने विचार रखें। डॉ सुशील सिंह का मानना है कि देश में शोध की बेहद कमी है ऐसे में उच्च शिक्षा के शिक्षण संस्थान मसलन विश्वविद्यालय आदि शोध की दिशा में सार्थक प्रयास करें।
देश के लगभग 1200 विश्वविद्यालय हैं मगर शोध में हालात अच्छे नहीं है। कई विश्वविद्यालय डिग्री बेचने और पैसा कमाने के कारोबार में भी हैं जो न केवल युवाओं की भविष्य के साथ खिलवाड़ है बल्कि भारत के भविष्य के लिए खतरे हैं जिसे लेकर कॉन्क्लेव कॉन्क्लेव में शामिल सभी सदस्यों ने चिंता जताई। इसके अलावा उत्तराखंड लोक सेवा आयोग में सदस्य रहे डॉ सुमेर चंद्र रवि, राजेंद्र सिंह, सीनियर एडवोकेट, समेत कई अलग-अलग पैनल में शामिल सदस्यों ने शिक्षा की आवश्यकता प्रासंगिकता पर सकारात्मक बल दिया।
संस्था में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे प्रतियोगियों ने भी उत्तराखंड में लागू समान आचार संहिता और संविधान में निहित मौलिक कर्तव्य पर गंभीरता से कॉन्क्लेव में चर्चा पर चर्चा के दौरान नई और सकारात्मक बातों से परिचय कराया। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र और अतिथियों को सम्मान पत्र देकर कॉन्क्लेव का समापन किया गया।