उत्तराखंड

सर्विस ट्रिब्युनल ने निरस्त किये एस.एस.पी व आई.जी. के आदेश

सर्विस ट्रिब्युनल ने निरस्त किये एस.एस.पी व आई.जी. के आदेश

ट्रिब्युनल ने माना ऐसे आदेशों को निरस्त किया जाना ही श्रेयस्कर

स्थानांतरण को विधायक से सिफारिश कराने का आरोप लगाकर किया गया था दण्डित जबकि तथाकथित सिफारिशी पत्र में अनुशंसित स्थान पर तीन माह पहले से कार्यरत था कांस्टेबिल

काशीपुर। उत्तराखंड मंे सरकारी कर्मचारी अधिकारियों के सेवा सम्बन्धी मामलों का निर्णय करने वाले विशेष न्यायालय (ट्रिब्युनल) की नैनीताल पीठ ने एस.एस.पी. उधमसिंह नगर तथा आई.जी. कुमाऊं नैनीताल के पुलिस कांस्टेबिल दिनेश कुमार के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही में दिये गये दण्ड आदेश को निरस्त कर दिया। ट्रिब्युनल की कैप्टन आलोक शेखर तिवारी की बंेच ने इस पुलिस कर्मी की याचिका पर एस.एस.पी तथा आई.जी. के आदेशों को अपास्त किया जाना श्रेयस्कर मानते हुये निरस्त कर दिया है।

वर्तमान में चंपावत जिले में तैनात पुलिस कांस्टेबिल दिनेश कुमार की और से अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण की नैनीताल बेेंच में याचिका सं0 21 सन 2024 दायर की थी। इसमें कहा गया था कि वर्ष 2021 में जब यह पुलिस कर्मी उधमसिंह नगर जिले में तैनात थे तो डा0 प्रेम सिंह राणा, विधायक नानकमत्ता, उधमसिंह नगर के तथाकथित पत्र 07-06-2021 की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिसमें याची सहित विभिन्न पुलिस कर्मियों की सूची दी गयी थी।

इस पर एस.एस.पी. उधमसिंह नगर द्वारा जन प्रतिनिधियों से स्थानांतरण के सम्बन्ध में सिफारिश कराकर कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन करने वाले कर्मियों के विरूद्ध जांच कर आख्या उपलब्ध कराने का पुलिस अधीक्षक, नगर रूद्रपुर को आदेशित किया। उन्होंने अपनी जांच आख्या 25-08-2021 में बिना स्वतंत्र साक्ष्यों तथा याची के पक्ष को विचार मे लिये बिना किसी सम्बद्ध कारण को उल्लेखित किये, बिना किसी वैध आधार के याची सहित मा0 विधायक के तथाकथित पक्ष में दी गयी सूची में शामिल सभी कर्मियों को दोषी होने का निष्कर्ष दे दिया।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने इस जांच आख्या को आधार बनाते हुये अपने आदेश 15-03-2022 से याचीें की 2021 की चरित्र पंजिका में परिनिन्दा प्रविष्टि अंकित करने के दण्ड का आदेश दे दिया। पुलिस कांस्टेबिल द्वारा इसकी अपील आई.जी. कुमाऊं परिक्षेत्र नैनीताल को की गयी लेकिन उन्होंने भी अपील पर निष्पक्ष रूप से विचार किये बगैर अपने 24-07-2023 के अपील आदेश से अपीलं को निरस्त कर दिया। इस पर पुलिस कांस्टेबिल द्वारा अपने अधिवक्ता नदीम उद्दीन के माध्यम से उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण की नैनीताल पीठ में दावा याचिका दायर की गयी। याचिकां में विभागीय दण्ड आदेशों व अपील आदेशों को निरस्त करके तथा उसके आधार पर सेवा लाभों को दिलाने का निवेदन किया गया।

याची की ओर से नदीम उद्दीन ने विभागीय जांच, दण्ड आदेशों व अपील आदेश को निराधार तथा प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन के आधार पर निरस्त होने योेग्य बताया। उन्होने न्यायालय का ध्यान इस ओर कराया कि आश्चर्य का विषय यह है कि विधायक के जिस तथाकथित स्थानांतरण अनुशंसा पत्र को आधार बनाकर याची के विरूद्ध दण्डादेश पारित किया गया है उस अनुशंसित स्थान पर याची तीन माह पूर्व से ही कार्यरत चला आ रहा था। इसलिये सिफारिश करवाने या किसी अनुशासनिक अवहेलना का प्रश्न ही नहीं है।

उत्तराखण्ड सरकार व पुलिस विभाग की ओर से सहायक प्रस्तुतकर्ता अधिकारी को आदेशों को सही तथा कानून के अनुसार होना बताया।

अधिकरण के सदस्य कैप्टन आलोक शेखर तिवारी की पीठ ने नदीम के तर्कों से सहमत होते हुये वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उधमसिंह नगर तथा आई.जी कुमाऊं के अपील आदेश को अपास्त किया जाना ही श्रेयस्कर प्रतीत होना मानते हुये निरस्त कर दिया। इसके साथ ही आदेश दिया गया कि आदेश की प्रमाणित प्रति वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के समक्ष प्रस्तुत किये जाने की तिथि से 30 दिवस के भीतर याची की चरित्र पंजिका व अन्य अभिलेखों में दर्ज दण्ड को विलुप्त करें तथा सभी सेवालाभ अवमुक्त करते हुये प्रदान किये जायें।

अधिकरण के सदस्य कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि याची का स्थानान्तरण थाना रूद्रपुर से सिडकुल सितारगंज किये जाने के तीन माह उपरान्त माननीय विधायक द्वारा तथाकथित अनुशंसा पत्र लिखा गया है। इसके अतिरिक्त इसी प्रकरण में दण्डित किये गये कतिपय पुलिस कर्मियों को अधिकरण द्वारा पूर्व में ही दोषमुक्त किया जा चुका है। अतः स्पष्ट है कि प्रश्नगत आदेश माननीय विधायक के अनुशंसा पत्र द्वारा उत्पन्न भ्रमपूर्ण स्थिति के कारण निर्गत किये गये थे जो कि विधिक रूप से स्थिर रखे जाने योग्य नहीं है एवं तदनुसार उन्हें अपास्त किया जाना ही श्रेयस्कर प्रतीत होता है।

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