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…तो हरक की नाराजगी से सरकार बे-परवाह !

अपने ही विभागों के दो कार्यक्रमों से दूरी बना चुके हैं मंत्री जी

कई दिनों बाद भी सीएम से नहीं मिले रावत

त्रिवेंद्र ने अकेले ही निपटा दिए दो कार्यक्रम

देहरादून। काबीना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत अंदरखाने सरकार से नाराज चल रहे हैं। अपने ही दो महकमों के दो कार्यक्रमों में वे सीएम की मौजूदगी के बाद भी शामिल नहीं हुए। विवाद की शुरुआत के कई दिन बाद भी उनकी सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से कोई बातचीत नहीं हुई हैं। सीएम त्रिवेंद्र जिस सहज अंदाज में काम कर रहे हैं, वो इस बात का इशारा कर रहा है कि सरकार को मंत्री की नाराजगी की कोई परवाह नहीं है।

कांग्रेसी कल्चर की सियासत करने वाले हरक सिंह अपनी ही पार्टी से बगावत करके भाजपा में शामिल हुए थे। चुनाव जीते और फिर से कैबिनेट मंत्री बन गए। भाजपा में उन्हें काम करने की आजादी उस तरह से नहीं मिल सकी, जैसी कांग्रेस सरकार के समय में थी। कभी तबादलों को लेकर तो कभी अन्य मामलों पर उनकी सरकार से असहमति सामने आती रही। पिछले दिनों सरकार ने उऩ्हें कर्मकार बोर्ड अध्यक्ष के उस पद से हटा दिया, जिस पर वो जिद करके काबिज हुए थे। संभावित नाराजगी को भांप कर सरकार ने बोर्ड सचिव के पद पर उनकी पंसद को हटाने के बाद फिर से काबिज कर दिया।

इसके बाद हरक सिंह ने खुलकर तो कोई विरोध नहीं किया। लेकिन 2022 में चुनाव न लड़ने की बात करके अपनी नाराजगी का इजहार किया। मीडिया ने इस पर सवाल किए तो मंत्री बोले कि सीएम से बात करने के बाद ही वे इस पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे।

इस मामले को कई रोज बीत चुके हैं। हरक सिंह और सीएम त्रिवेंद्र के बीच कोई बातचीत नहीं हो सकी है। इतना ही नहीं, पहले से तय आयुष और वन विभाग के दो कार्यक्रमों से हरक ने खुद ही दूरी बना ली। अहम बात यह है कि इन दोनों की आयोजनों में सीएम को बतौर मुख्य अतिथि शामिल होना था। सीएम त्रिवेंद्र ने दोनों ही कार्यक्रमों में शिरकत की। मंत्री के विषय में बताया गया कि वे कोटद्वार में है। गोया कोटद्वार और देहरादून के बीच की इतनी ज्यादा हो गई कि मंत्री जी पहले से तय कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हो सके।

माना जा रहा है कि हरक सिंह अपनी अंदरखाने की नाराजगी के चलते ही दोनों कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए। दूसरी तरफ सीएम त्रिवेंद्र दोनों कार्यक्रमों में शामिल हुए और विभागीय मंत्री की चर्चा तक नहीं हुई। ये इस बात का संकेत भी हो सकता है कि सरकार को मंत्री का नाराजगी की कोई परवाह नहीं है। अब देखने वाली बात यह होगी कि हरक सिंह का अगला कदम क्या होगा।

रास सीट बहुगुणा को देने की उठाई थी मांग

काबीना मंत्री हरक सिंह रावत ने राज्यसभा की सीट पूर्व सीएम विजय बहुगुणा को देने की मांग भी की थी। लेकिन भाजपा हाईकमान ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और नरेश बंसल को राज्यसभा भेजने की फैसला कर दिया। बताया जा रहा है कि सीएम त्रिवेंद्र ने भी बंसल के पक्ष में ही अपनी राय दी थी।

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