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कोरोनाः देहरादून में हालात बे-काबू

नए केस, एक्टिव केस, मृत्यु दर, इंफेक्शन दर में सबसे आगे

देहरादून। उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी देहरादून में कोरोना संक्रमण बे-काबू होता दिख रहा है। पहला केस आने के 198 दिन बाद देहरादून नए केस, एक्टिव केस, मृत्यु दर, इंफेक्शन दर में सबसे आगे हैं। कुछ संतोष की बात ये हो सकती है कि रिकवरी में ही देहरादून अव्वल है।

सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फॉउंडेशन नामक संस्था पिछले छह माह से कोरोना को लेकर जारी होने वाले सरकारी आंकड़ों की समीक्षा कर रही है। इस संस्था के मुखिया अनूप नौटियाल ने उत्तराखंड में मिले पहले केस के बाद से अब तक सवा छह महीने के हालात की समीक्षा की है। नौटियाल ने सरकारी आंकड़ों के लिहाज से ट्वीट किया है कि कोरोना महामारी देहरादून में सबसे ज्यादा फैल रही है। देहरादून जनपद कोरोना के नए केस, एक्टिव केस, मृत्यु दर, इंफेक्शन दर में सबसे आगे है।

अनूप बताते हैं कि उत्तराखंड में अब तक कुल 15 मार्च से 29 सितंबर तक कुल 45502 मामले सामने आए हैं। इनमें से अकेले देहरादून में 12693 है। यह पूरे राज्य का 27 फीसदी है। उत्तराखंड का यह अकेला जिला है जिसमें कुल एक्टिव केस 10066 का 32 फीसदी यानि 3214 केस हैं। उत्तराखंड में जांच किए गए सैंपल्स में से महज 15 फीसदी ही देहरादून जिले में हैं। उत्तराखंड में इंफेक्शन रेट भी सर्वादिक 12.68 फीसदी है। जबकि पूरे उत्तराखंड का यह आकंड़ा महज 7.12 फीसदी है।

मृत्यु की बात की जाए तो पूरे राज्य में से 49 फीसदी मौत अकेले देहरादून जिले में हुईं हैं। राज्यभऱ में अब तक कुल 580 मौत कोरोना से हुईं हैं। इसमें से 285 मौत अकेले देहरादून जिले में हुईं हैं। यह संतोष की बात महज यह है कि रिवकरी का प्रतिशत भी देहरादून का सबसे ज्यादा है। पूरे राज्य की बात करें तो यह आंकड़ा 25 फीसदी का है।

अहम बात यह है कि इस अस्थायी राजधानी देहरादून में पूरी सरकार बैठती है। मुख्यमंत्री समेत तमाम मंत्रियों और मुख्य सचिव के साथ ही स्वास्थ्य सचिव व स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी इसी जिले में रहते हैं। इसके बाद भी अगर इस देहरादून जिले के हालात इस कदर बे-काबू हैं तो इसके लिए आखिरकार कौन जिम्मेदार है।

देहरादून के डीएम पर है काम का बोझ

देहरादून के डीएम आशीष श्रीवास्तव के पास बहुत काम है। डीएम के कामों के साथ ही उन्हें मुख्य मंत्री के अपर सचिव का काम भी देखना पड़ रहा है। इसके साथ ही देहरादून स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के सीईओ को पदभार भी उन्हीं के पास हैं। स्मार्ट सिटी का का पदभार कुछ रोज पहले उनके पास से हटाया भी गया था। ताकि वे कोरोना पर और भी फोकस कर सकें। पर चंद रोज बाद ही उन्हें पद फिर से दे दिया गया। ताकि पीएम की इस योजना पर कोई दिक्तक न आए।

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