राजनीति

गैरसैंणः रोशन होने में वक्त लेगा ‘टिमटिमाता दिया’

ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा में सियासी दलों ने लगाए 20 साल

न्यूज वेट ब्यूरो

देहरादून। मुख्यमंत्री की गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा से पहाड़ के अवाम के दिलों में एक टिमटिमाता सा दिया जरूर जल गया है। अब सवाल यह खड़ा हो रहा कि इस दिए की ऱोशन होने में गैरसैंण को आखिरकार कितना वक्त और लगेगा। यह सवाल इस तथ्य की वजह से खड़ा हो रहा है कि जनभावनाओं के अनुसार आगे बढ़ने में सियासी दलों ने बीस साल का वक्त ले लिया है।

राज्य आंदोलन के दौरान ही गैरसैंण में राजधानी की बात हो रही थी। भाजपा ने राज्य तो बनाया। लेकिन देहरादून को अस्थायी राजधानी बनाकर अहम सवाल को नेपथ्य में डाल दिया। इसके बाद अब राज्य गठन के बीस साल बाद इस मुद्दे पर अधिकृत बात की गई है। बात भले ही ग्रीष्मकालीन राजधानी की हो। लेकिन इससे पहाड़ के अवाम के दिलों में एक टिमटिमाता सा दीपक जरूर जल गया है।

अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या सीएम की अन्य घोषणाओं की तरह की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषणा भी हवाई ही रहेगी या फिर वास्तव में इस दिशा में आगे भी काम होगा और आज ये टिमटिमाता दिया आने वाले समय में गैरसैंण को रोशन करेगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि भराड़ीसैंण कब तक ग्रीष्मकालीन राजधानी वास्तव में बनेगी। इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए सरकार को एक संकल्प के तौर पर करना होगा। वहां तमाम अवस्थापना सुविधाओं का विस्तार होना है। इसके लिए बहुत बड़ी रकम की दरकार होगी। पहले से ही आर्थिक तंगी झेल रही सरकार को इस चुनौती से भी जूझना होगा। इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए सबसे बड़ी चुनौती अफसरशाही से ही मिलने वाली है। पहाड़ में तैनात अफसर किसी न किसी बहाने देहरादून में आने की कोशिश करते हैं। ऐसे में तीन या चार महीने के लिए इन्हें पहाड़ पर रोक पाना भी कठिन काम होगा। फिर भी उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही राज्य आंदोलनकारियों का सपना साकार होगा। भले ही वह ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में ही क्यों न हो।

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