तस्वीर का सच

स्थायी राजधानीः बोतल से फिर निकला ‘जिन्न’

देहरादून में नए विस भवन पर स्पीकर की पैरोकारी छाई सुर्खिंयों में

अब तक गैरसैंण का जश्न मना रही थी भाजपा

कांग्रेस को मिल गया एक बार फिर से ये मुद्दा

देहरादून। स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल की पहल ने एक बार फिर देहरादून में नए विधानसभा भवन के निर्माण के मुद्दे को गर्मा दिया है। इससे बोतल में बंद स्थायी राजधानी का जिन्न बाहर आता दिख रहा है। सवाल किया जा रहा है कि कि क्या देहरादून उत्तराखंड की स्थायी राजधानी है। अगर ऐसा नहीं है तो देहरादून में नए विधानभवन अरबों खर्च करने की कोशिश क्यों हो रही है। इससे अब तक गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने का जश्न मना रही भाजपा और सरकार की पेशानी पर बल पड़ना लाजिमी है।

अटल जी की सरकार ने उत्तराखंड को अलग राज्य का तोहफा तो दिया पर राजधानी का मुद्द आज तक अनसुलझा है। सूबे की जनभावना गैरसैंण के पक्ष में है मानी जाती है। लेकिन कांग्रेस और भाजपा किसी भी ने भी इस पर अंतिम मुहर नहीं लगाई। पिछले दिनों भाजपा सरकार ने गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी तय करके इस मामले में सियासी माइलेज लेने की कोशिश की। इस फैसले का स्वागत भी किया गया। साथ ही स्थायी राजधानी पर सवाल भी खड़े किए गए।

विगत दिवस स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने देहरादून में नए विधानसभा भवन निर्माण की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि इस मामले में तेजी लाने की जरूरत है। इस बारे में मुख्यमंत्री से भी बात की जाएगी। इसके बाद से ही सूबे की स्थायी राजधानी का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। कांग्रेस की ओर से सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या देहरादून को स्थायी राजधानी मान लिया जाना चाहिए।

यह मुद्दा सोशल मीडिया में छा रहा है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि देहरादून में एक विधानसभा भवन पहले से हैं। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में अरबों की लागत से एक भव्य भवन पहले से ही बनाया जा चुका है। नेताओं और अफसरों के लिए रिहायशी भवन भी बन चुके हैं। सचिवालय भवन भी बनाया जा रहा है। ऐसे में देहरादून के रायपुर में और नए विधानसभा भवन के निर्माण की कोशिशों के पीछे आखिर खेल क्या है। देहरादून में इस समय एक विधानसभा भवन पहले से ही है। कई बार इसका भी एक्सटेंशन किया जा चुका है।

दून में नए विस भवन की बात सामने आते ही बोतल में बंद स्थायी राजधानी का जिन्न एक बार फिर से बाहर निकलता दिख रहा है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को लपकने में देरी नहीं की। कांग्रेस कह रही है कि भाजपा सरकार ये साफ करे कि उत्तराखंड की स्थायी राजधानी कहां है। अब तक गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने का जश्न मना रही भाजपा और राज्य सरकार को इस मुद्दे पर जवाब देना होगा कि उत्तराखंड की स्थायी राजधानी क्या देहरादून ही है।

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