तस्वीर का सच

कोरोनाः देहरादून जिले में सबसे ज्यादा मौत

कुल मौतों में से 94 फीसदी उत्तराखंड के चार मैदानी जनपदों में

पहाड़ के नौ जिलों में छह फीसदी मृत्यु

राष्ट्रीय औसत से कम राज्य का आंकड़ा

चमोली जिले में नहीं हुई किसी की मौत

देहरादून। उत्तराखंड के मैदानी जनपदों में कोरोना का कहर तेजी से बढ़ रही है। अब तक हुईं कुल मौत में से 49 फीसदी अकेले देहरादून जिले में हैं। कुल मौत में से 94 फीसदी मृत्यु राज्य के चार मैदानी जनपदों में हुईं हैं। इस मामले में पर्वतीय जिलों में राहत है। कुल मौत में से छह फीसदी मौत नौ पर्वतीय जनपदों में हुईं हैं।

सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फॉउंडेशन नामक संस्था पिछले लंबे समय से स्वास्थ्य महकमे की ओर से जारी होने वाले आंकड़ों की समीक्षा कर रही है। इस संस्था के मुखिया अनूप नौटियाल ने 21 सितंबर की शाम तक के आंकड़ों के आधार पर एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अऩुसार उत्तराखंड के मैदानी जनपदों में हालात ज्यादा खराब है। अब तक हुईं कुल मौत का 94 फीसदी चार मैदानी जनपदों में हुईं हैं।

रिपोर्ट के अनुसार राज्य में कोरोना से अब तक 501 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 246 यानि कि 49 फीसदी मौत अकेले देहरादून जनपद में हुईं हैं। इसके बाद नैनीताल में 96, हरिद्वार में 75 और ऊधमसिंह नगर में 52 मौत हुईं हैं। पर्वतीय जनपदों की बात करें तो सर्वाधिक 11 मौत पौड़ी जिले में हुई हैं। टिहरी, बागेश्वर, चंपावत में दो-दो, अल्मोड़ा और उत्तरकाशी में पांच-पांच, पिथौरागढ़ में चार, रुद्रप्रयाग में एक मौत हुई है। चमोली एक मात्र ऐसा जिला है जिसमें कोरोना की वजह से कोई मौत नहीं हुई है। उत्तराखंड में कोरोना से मृत्यु की दर 1.20 फीसदी है। जबकि कोरोना से मौत का राष्ट्रीय औसत 1.60 है। पिछले महीने में उत्तराखंड में मृत्यु दर 1.36 थी। इसमें इस महीने में 0.16 फीसदी की कमी आई है।

पिछले दो रोज में कम हुईं हैं जांच

रिपोर्ट के अऩुसार 20 सितंबर को राज्यभर में 10970 और 21 सितंबर को 10636 लोगों की जांच हुई है। इससे पहले 19 सितंबर को रिकार्ड 16453 लोगों की जांच हुई थी। 16,17 और 18 सितंबर को जांच का आंकड़ा 12 हजार रोजाना से ज्यादा था।

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