एक्सक्लुसिव

‘जीरो टॉलरेंस’ पर बॉलिंग करती त्रिवेंद्र सरकार

दो किए बोल्ड, अब निशाने पर समाज कल्याण विभाग का ‘बल्लेबाज’

अफसरशाही पर शिकंजा कसने की भी कवायद

न्यूज वेट ब्यूरो

देहरादून। त्रिवेंद्र सरकार पिछले कुछ दिनों से जीरो टॉलरेंस पर आधारित बॉलिंग कर रही है। इस बॉलिंग पर अब तक दो अहम बल्लेबाज बोल्ड हो चुके हैं। माना जा रहा है कि समाज कल्याण विभाग के एक अहम बल्लेबाज को आउट करने के लिए फील्ड सजा दी गई है। इस दौरान अफसरों की मनमानी फील्डिंग पर भी सरकार ने कुछ फोकस किया है।

CM TRIVENDR
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत

त्रिवेंद्र सरकार की कार्यशैली और उनकी जीरो टॉलरेंस की बात को लेकर सोशल मीडिया में तमाम चर्चाएं होती रही है। लोग अपने-अपने अंदाज में इस पर टिप्पणी करते रहे हैं। लेकिन पिछले एक सप्ताह से त्रिवेंद्र सरकार कुछ नए अंदाज में काम कर रही है। ऐसा लग रहा है कि त्रिवेंद्र ने बॉलिंग शुरू कर दी है और अहम बल्लेबाजों को आउट करने की योजना बना ली है। इसी क्रम में पहले शिकार बने हैं समाज कल्याण विभाग के गीता राम नौटियाल और सहकारिता विभाग के दीपक कुमार।

गीता राम गंभीर आरोपों घिरे हैं और जेल भी जा चुके हैं। इन अफसर ने ताकत की दम पर खुद को नियमों के विपरीत न केवल बहाल करा लिया, बल्कि मनचाही पोस्टिंग भी पा ली। सरकार की निगाहें तिरछी हुईं तो उसी अफसर ने फिर से निलंबित कर दिया, जिसने इसे बहाल किया था। इसी तरह राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक लंबे समय से आरोपों के घेरे में रहे हैं। अपनी पहुंच का इस्तेमाल करते हुए तमाम जांचें फाइलों में ही दबाने में सफल होते रहे हैं। इस बार ये ही त्रिवेंद्र की बॉलिंग पर बोल्ड हो गए।

अब सरकार के निशाने पर समाज कल्याण विभाग का वो अफसर है, जिसकी दम गीता राम जैसे लोग मनमानी करते रहे हैं। त्रिवेंद्र ने मुख्य सचिव को साफ कहा कि इस मामले की तत्काल जांच कराएं कि गीता राम की बहाली में किस अफसर ने खेल किया। बताया जा रहा है कि इस काम में शासन के एक अफसर ने अहम भूमिका निभाई। बताया जा रहा है कि इसी अफसर ने नियमों के विपरीत एक कालेज को 80 लाख रुपये की छात्रवृत्ति सीधे अपने स्तर से ही जारी कर दी थी। सरकार की इस बारे में रचाई गई फील्डिंग से लग रहा है कि यह अफसर भी जल्द ही आउट हो सकता है।

एक बात और। सरकार पर यह भी आरोप लगता रहा है कि अफसरशाही काबू में नहीं है। पिछले दिनों फेरबदल में कई बड़े अफसरों ने अहम विभाग वापस लेकर त्रिवेंद्र सरकार ने इस आरोप को भी गलत साबित करने की कोशिश की है। अब उम्मीद की जानी चाहिए कि त्रिवेंद्र सरकार का जीरो टॉलरेंस का सिलसिला आगे भी यूं ही बदस्तूर जारी रहेगा।

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