शासन ने मामले के मुख्य आरोपी को सवेतन कर दिया है बहाल
समाज कल्याण निदेशालय में ही दे दी तैनाती
कई रसूखदार आरोपी पुलिस के गिरफ्त से बाहर
ठगा महसूस कर रहे यह घोटाला सामने लाने वाले
न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। समाज कल्याण विभाग में कई अरब रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच भी दबती दिख रही है। मामले में आरोपी बनाए गए कई रसूखदार अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। इसी बीच मामले के मुख्य आरोपी बताए जा रहे संयुक्त निदेशक गीता राम नौटियाल पर शासन की मेहरबानी भी बरस गई। नौटियाल को बहाल करके पुराने पद पर ही तैनाती दी गई है। अहम बात यह है कि यह बहाली सवेतन की गई है। यानि निलंबन अवधि का पूरा वेतन उन्हें मिलेगा। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या इस घोटाले के आरोपियों को कोई सियासी मदद मिल रही है।
इस घोटाले को सामने लाने में अधिवक्ता चंद्रशेखर करगैती ने अहम रोल निभाया। उन्हें एफआईआर का भी सामना करना पड़ा। भाजपा नेता रवींद्र जुगरान इसे हाईकोर्ट ले गए। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद एसआईटी जांच आगे बढ़ी तो इस घोटाले की परतें ही उधड़ गईं। तमाम सफेदपोश लोग बे-नकाब हुए। समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीता राम नौटियाल समेत अन्य को जेल जाना पड़ा। मामला बड़े रसूखदारों की गिरफ्तारी तक पहुंचा को जांच नेपथ्य में चली गई।
लंबे समय से यह मामला शांत था। न तो जांच आगे बढ़ी और न ही कोई गिरफ्तारी हुई। कोरोना संकट में सब इसे भूल ही गए। विगत दिवस शासन से अचानक से संयुक्त निदेशक नौटियाल को बहाल करके समाज कल्याण निदेशालय में पुराने पद पर ही बहाल कर दिया। अहम बात यह है कि नौटियाल को सवेतन बहाल किया गया है। उनके खिलाफ अदालत में अभी मुकदमा चल रहा है। अलबत्ता शासन ने यह जरूर लिखा कि यह आदेश अदालत से आने वाले आदेश के अधीन होगा। अब कब और क्या फैसला आएगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन नौटिलाल अपने पद पर वापस पहुंच गए हैं।
अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि अरबों के इस घोटाले को क्या कहीं से सियासी संजीवनी मिल रही है। आखिर कौन है जो अनुसूचित जाति, जनजाति समेत अऩ्य गऱीबों के हिस्से की राशि को हड़पने वालों की अंदरखाने पैरवी कर रहा है।